भीतर कुछ और..
एक रात ऐसा हुआ। एक घर में एक मां थी और उसकी बेटी थी। और उन दोनों को रात में उठ कर नींद में चलने की बीमारी और आदत थी।
आचार्य रजनीश ओशो |
कोई तीन बजे होंगे रात में तब वह मां उठी और मकान के पीछे बगिया में पहुंच गई। नींद में ही स्लीप वॉकिंग की आदत थी, नींद में चलने की और बात करने की। वह मकान के पीछे बगिया में पहुंच गई। उसकी लड़की भी उठी, और वह भी थोड़ी देर बाद बगिया में पहुंच गई। जैसे ही उस बूढ़ी ने अपनी लड़की को देखा, वह जोर से चिल्लाई। चांडाल, तूने ही मेरी युवा अवस्था छीन ली है। तू जब से पैदा हुई तब से मैं की होनी शुरू हो गई। तू मेरी शत्रु है, तू न होती तो मैं अभी भी जवान होती।
उस लड़की ने जैसे ही अपनी बूढ़ी मां को देखा, वह जोर से चिल्लाई कि दुष्ट, तेरे ही कारण मेरा जीवन एक संकट और बंधन बन गया है। मेरे जीवन के हर प्रवाह में तू रोड़े की तरह खड़ी हुई है। मेरे जीवन के लिए तू एक जंजीर बन गई है। और तभी मुर्गे ने बांग दी और उन दोनों की नींद खुल गई। लड़की को देखते ही कहा, बेटी, इतनी सुबह क्यों उठ आई? कहीं तुझे सर्दी न लग जाए। चल, भीतर चल! और उस लड़की ने जल्दी से अपनी की मां के पैर पड़े। सुबह से पैर पड़ने का उसका रोज का नियम था। और उसने कहा कि मां, तुम इतनी जल्दी उठ आई?
तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं रहती है। इतनी जल्दी नहीं उठना चाहिए। आप चलिए और विश्राम करिए। और नींद में उन्होंने यह कहा और जाग कर उन्होंने यह कहा! नींद में आदमी जो कहता है वह जागने के बजाय ज्यादा सच्चा होता है, क्योंकि ज्यादा भीतरी होता है। सपने में जो आप देखते हैं, वह आपकी कहीं ज्यादा असलियत है, बजाय उसके जो रोज आप बाजार और भीड़ में देखते हैं। भीड़ का चेहरा बनाया हुआ कृत्रिम चेहरा है। ऊपर से आप बिल्कुल शांत और स्वस्थ मालूम होते हैं, भीतर सब अस्वस्थ और विक्षिप्त है।
ऊपर से आप मुस्कुराते मालूम होते हैं, और हो सकता है कि सारी मुस्कुराहट भीतर आंसुओं के ढेर पर खड़ी हो। बल्कि बहुत संभावना यही है कि भीतर जो आंसू हैं, उनको छिपाने के लिए ही मुस्कुराहट का आपने अभ्यास कर लिया हो। आमतौर से आदमी यही करता है। नीत्शे से किसी ने एक बार पूछा कि तुम हमेशा हंसते रहते हो! इतने प्रसन्न हो! सच में ही क्या? नीत्शे ने कहा अगर तुमने पूछ ही लिया है तो मैं असलियत भी बता दूं। मैं इसलिए हंसता रहता हूं कि कहीं रोने न लगे। इसके पहले कि रोना शुरू हो जाए, मैं हंसी से उसको दबा लेता हूं।
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