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- यहां है दादी-नानियों का स्कूल ‘आजीबाईची शाला’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने महसूस किया कि उन्हें शिक्षित करना मेरा कर्तव्य है. ट्रस्ट से मुझे शुरुआती रकम मिलने के बाद एक परिवार ने स्कूल के लिए अपनी जमीन का छोटा हिस्सा दे दिया और इस तरह पिछले साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 28 दादी नानियों के साथ हमारी ये यात्रा शुरू हुई.’ बांगड़ हर रोज स्कूल आने-जाने के लिए 75 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. (भाषा)
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