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- हिन्दी साहित्य के अमिट हस्ताक्षर प्रेमचंद
हिन्दी साहित्य के अमिट हस्ताक्षर मुंशी प्रेमचंद की 31 जुलाई को 133 वीं जयंती है. गरीब परिवार में जन्म लेने वाले प्रेमचंद का बचपन काफी तकलीफ में गुजरा. हिन्दी और उर्दू भाषा में लेखन करने वाले प्रेमचंद की लेखनी किसी प्रमाणपत्र की मोहताज नहीं रही है. प्रेमचंद की कहानी लिखने की शैली जितनी गजब की रही है, वहां आज तक कोई भी नहीं पहुंच पाया है. उनकी कहानी पहली पंक्ति से लेकर आखरी पंक्ति तक बांधे रखती है. कहानी ऐसी हो जिसका चरित्र और कथानक स्वभाविक और पक्का लगे. इस मामले में प्रेमचंद सौ फीसदी खरे उतरते हैं.
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