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- संगम की रेती पर संयम, श्रद्धा और कायाशोधन का ‘कल्पवास’
महाभारत में कहा गया है कि एक सौ साल तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या करने का जो फल है, माघ मास में कल्पवास करने भर से प्राप्त हो जाता है। कल्पवास की न्यूनतम अवधि एक रात्रि की है। बहुत से श्रद्धालु जीवन भर माघ मास गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम को समर्पित कर देते हैं। विधान के अनुसार एक रात्रि, तीन रात्रि, तीन महीना, छह महीना, छह वर्ष, 12 वर्ष या जीवनभर कल्पवास किया जा सकता है। पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि आकाश और स्वर्ग में जो देवता हैं, वे भूमि पर जन्म लेने की इच्छा रखते हैं। वे चाहते हैं कि दुर्लभ मनुष्य का जन्म पाकर प्रयाग क्षेत्र में कल्पवास करें। (वार्ता, इलाहाबाद)
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