रामायण,महाभारत काल से ही छठ मनाने की रही है परंपरा

रामायण,महाभारत काल से ही छठ मनाने की रही है परंपरा

ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को निष्ठा के साथ करने वाले को योज्ञ संतान की प्राप्ति होती है। छठ पूजा में उपासक पानी में कमर तक खड़े होकर दीप जलाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और छठी मैया के गीत गाते हैं। व्रत के पहले दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है। दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना किया जाता है। पंचमी को दिनभर खरना का व्रत रखने वाले उपासक शाम के वक्त गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। खरना पूजन से ही घर में देवी षष्ठी का आगमन माना जाता है।

 
 
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