सामयिक : इंटरनेशनल कोर्ट का संकट

Last Updated 29 May 2024 01:53:18 PM IST

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने संतुलन के तराजू में इस्रइल के शीर्ष नेताओं और हमास के शीर्ष नेताओं को साथ रखने का साहस दिखाया तो पूरी दुनिया में हल्ला मच गया।


सामयिक : इंटरनेशनल कोर्ट का संकट

आईसीसी के अभियोजन पक्ष ने हमास पर युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध, र्मडर, रेप, बंधक बनाने जैसे आरोप लगाए गए हैं। वहीं नेतन्याहू और गैलेंट के खिलाफ युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध अपराध, जिनमें विनाश, उत्पीड़न, युद्ध के तरीके के रूप में भुखमरी पैदा करना, मानवीय राहत आपूर्ति से इनकार करना और हमास को हराने के प्रयास में जानबूझकर नागरिकों को निशाना बनाना शामिल है। करीम रवांडा, लेबनान और सिएरा लियोन की आपराधिक अदालतों में भी काम कर चुके हैं।

ये तीनों देश गृह युद्ध और हिंसा की चपेट में आ चुके हैं।
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने इस्रइल और हमास पर जो आरोप लगाए हैं, उनकी पुष्टि इन घटनाओं से की जा सकती है। सात अक्टूबर, 2023 को हमास ने इस्रइल पर हमला किया था। हमले में 1200 लोग मारे गए थे और कई लोगों को बंधक बनाया गया था। हमास के लड़ाकों ने कई महिलाओं के साथ गैंगरेप किए, उनकी निर्मम हत्याएं की और उनके शरीर को क्षत-विक्षत कर दिया। कई लोगों की गर्दन और उनके अंग काट कर सड़क पर फेंक दिए गए और फिर आतंकी उनके साथ खेल रहे थे।

कई लोगों ने लोगों की हत्या, रेप और सिर काटे जाने की आवाजें और चीखें सुनीं। हमास के आतंकवादियों के विभिन्न समूहों की क्रूरता के तरीके अलग-अलग थे। इस्रइल के पुलिस प्रमुख याकोव शबताई ने कहा कि यह पूर्वनियोजित घटना थी। माना जाता है कि हमास ने इस्लामिक स्टेट समूह और बोस्निया से महिलाओं के शरीर को हथियार बनाने का तरीका सीखा। यह सब इतना भयावह था कि कई लोग इस्रइल के मानसिक स्वास्थ्य अस्पतालों में भर्ती हैं, जो उस खौफ से अब भी नहीं उबर पाए हैं, और पागल हो गए हैं। हमास जिन्हें बंधक बना कर ले गया, वे या तो मारे गए हैं, या अंधेरी सुरंगों में नारकीय जीवन जीने को मजबूर कर दिए गए हैं।

हमास की निर्ममता का जवाब इस्रइल ने बेहद प्रतिशोधात्मक तरीके से दिया है। इस्रइल की जवाबी कार्रवाई में अब तक गजा और वेस्ट बैंक में 35 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। सात अक्टूबर को हमास हमले के बाद इस्रइल ने गजा पट्टी की पूरी तरह से घेराबंदी का आदेश दिया अर्थात समूची आबादी का बिजली, पानी और  ईधन बंद कर दिया गया।  इस्रइल फिलस्तीनी क्षेत्रों पर लगातार हवाई और जमीनी हमले कर रहा है। फिलस्तीनी घायलों को भी नहीं बख्श रहा। गजा में फिलस्तीनी कैदियों को अस्पताल में बिस्तरों पर बेड़ियों से  बांध कर रखा जाता है और आंखों पर पट्टी  बांध दी जाती है। कभी-कभी उनके सारे कपड़े उतार दिए जाते हैं। इस्रइली सेना ने गजा में पूर्वी रफाह के अलग-अलग इलाकों में हमले कर लाखों लोगों को बेघरबार कर दिया है। इस्रइली हवाई हमलों और नाकाबंदी के कारण अधिकांश अस्पतालों ने काम करना बंद कर दिया है। बिजली और ईधन की कमी के कारण लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। फिलस्तीनी क्षेत्रों में अकाल जैसे हालात बन गए हैं।

हमास को अपने अपराधों पर कोई अफसोस नहीं है और वह बंधकों को छोड़कर युद्ध खत्म करने की कोशिशें भी नहीं कर रहा। वहीं इस्रइल ने आईसीसी अभियोजक के इस दावे को जोरदार तरीके से खारिज कर दिया है कि गाजा में आईडीएफ का अभियान जानबूझकर फिलिस्तीनी नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से है। युद्ध अपराध और मानवाधिकार की समस्या को लेकर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की निष्पक्षता को नकारने से वैिक ताकतों ने भी परहेज नहीं किया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस निर्णय  को भयावह बताते हुए कहा कि इस्रइल और हमास के बीच कोई समानता नहीं है। चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री पेट्र फियाला ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार और आतंकवादी संगठन की झूठी तुलना को भयावह और पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया।  

इस्रइली राष्ट्रपति इसहाक हरजोग ने इस्रइल को लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार और हमास को नृशंस आतंकवादी बताते हुए आईसीसी की तुलना को अपमानजनक कहा। वहीं हमास नेताओं ने करीम खान की मांग के बारे में कहा कि वो कातिल और पीड़ित को एक बराबर रख रहे हैं। दुनिया भर में युद्ध और हिंसा के हालात हैं, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के निर्णय को नजीर की तरह लिया जाना चाहिए था जिससे संयुक्त राष्ट्र में करोड़ों लोगों का विास बढ़ सकता था।

वहीं संकट यह है कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के निर्णयों का पालन कैसे होगा। आईसीसी के समझौते पर जिन 124 देशों ने हस्ताक्षर किए थे उनमें इस्रइल शामिल नहीं है। यानी आईसीसी का सदस्य नहीं है। फिलस्तीन समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल है, ऐसे में आईसीसी के पास कानूनी अधिकार है कि वो कार्रवाई कर सके। अब सवाल है कि अगर वारंट जारी किया जाता है तो फिलस्तीनी प्रशासन को हमास के नेता याह्या सिनवार, हमास की अल कासिम ब्रिगेड के नेता मोहम्मद दियाब इब्राहिम अल मसरी और हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हनियेह को गिरफ्तार करना होगा। फिलस्तीन में कोई  प्रशासन है ही नहीं और यह हमास के प्रभाव क्षेत्र में है।

अत: नामुमकिन है कि हमास अपने प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर ले। वहीं प्रधानमंत्री नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ वारंट जारी किया जाता है तो आईसीसी के जिस समझौते पर जिन देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, उनको मौका मिलने पर जिस व्यक्ति के खिलाफ वारंट जारी किया गया है, उसे हिरासत में लेना होगा। नेतन्याहू को दूसरा कोई देश गिरफ्तार कर ले, यह भी नामुमकिन है। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के गिरफ्तारी वारंट को जायज ठहराते हुए करीम खान ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों और सशस्त्र संघर्ष से जुड़े कानूनों को सभी पक्षों को मानना होगा, फिर चाहे आप कोई भी हों, लेकिन लगता है कि गिरफ्तारी वारंट ठीक उसी तरह मजाक बन जाएगा, जैसे पुतिन के खिलाफ जारी होने के बाद भी वे चीन के खास मेहमान बन कर आ गए थे।

डॉ. ब्रह्मदीप अलूने


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