झूठी कॉल : दहशत भरे कृत्य को रोकना होगा
देश इन दिनों चुनावी माहौल में डूबा हुआ है। इस बीच कुछ आपराधिक संगठन या अराजक तत्वों द्वारा राजधानी दिल्ली और दिल्ली से सटे कई शहरों के करीब सौ स्कूलों में धमकी भरा ईमेल भेजा गया।
झूठी कॉल : दहशत भरे कृत्य को रोकना होगा |
इसमें इन शैक्षणिक संस्थाओं को निशाना बनाते हुए बम से उड़ाने की धमकी दी गई। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों की गहन जांच-पड़ताल में यह अफवाह साबित हुई हैं।
इससे पहले दिसम्बर, 2023 में बेंगलुरु के करीब 44 स्कूलों को ईमेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। पुष्प विहार स्थित एमिटी इंटरनेशनल स्कूल में फरवरी, 2024 में ईमेल बम की धमकी से हड़कंप मच गया था। पिछले साल मई में मथुरा रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल को धमकी भरा ईमेल मिला था। ईमेल बम और कॉल बम की घटनाएं आम होती जा रही हैं।
साल 2016 के मार्च महीने में जेट एयरवेज की छह फ्लाइट्स को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। अप्रैल, 2023 में डिफेंस कॉलोनी स्थित इंडियन स्कूल में हॉक्स कॉल मिली थी। आये दिन देश के किसी न किसी कोने से ऐसी घटनाएं अखबारों की सुर्खियां बनती रही हैं। ऐसी ही कई घटनाएं हुई जिनमें अज्ञात लोगों द्वारा सरकारी तंत्र, स्कूल, कॉलेज को मेल बम, कॉल बम के जरिए धमकाने का काम किया गया। हालांकि ईमेल बम या कॉल बम की धमकी अधिकांशत: जांच-पड़ताल में फर्जी अफवाह फैलाने तक सीमित पाई गई।
ईमेल बम और कॉल बम के अतिरिक्त कई अन्य माध्यमों से भी शैक्षणिक संस्थानों को निशाना बनाया जाता है। शैक्षणिक संस्थाओं पर साइबर हमले किए जा रहे हैं। ‘साइबर थ्रेट टार्गेटिंग द ग्लोबल एजुकेशन सेक्टर’ नामक रपट में दावा किया गया है कि भारतीय शैक्षणिक संस्थानों पर साइबर हमलों की आशंका सबसे ज्यादा है। हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश भी साइबर आक्रमण-प्रवण हैं। शैक्षणिक संस्थाओं पर साइबर हमले के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पिछले महीने दक्षिण मुंबई स्थित एक अंतरराष्ट्रीय स्कूल में ईमेल के जरिए साइबर धोखाधड़ी से 87.26 लाख ठगने का काम किया गया।
हालिया दिनों में साइबर हमलों के मामले में शिक्षा संस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। एक अध्ययन के मुताबिक पिछले साल अप्रैल और जून के बीच शिक्षा क्षेत्र को सात लाख से अधिक साइबर हमलों का सामना करना पड़ा। साल 2022 के शुरु आती महीनों में वैश्विक स्तर पर शैक्षणिक संस्थानों पर साइबर हमले अधिक हुए। पिछले साल कुल साइबर हमलों में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय शैक्षणिक संस्थानों को 58 फीसद निशाना बनाया गया।
इनमें देश के विभिन्न ऑनलाइन शैक्षणिक संस्थान और प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान, तकनीकी शिक्षा निदेशालय भी शामिल थे। हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी साइबर रैंसमवेयर हमले से नहीं बच पाए हैं। देश में तेजी से डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ते शिक्षण संस्थानों में साइबर हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं। भारत समेत पूरी दुनिया के शैक्षणिक संस्थानों को रैंसमवेयर वॉयस ने घेर रखा है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद साइबर खतरे तेजी बढ़े हैं। शैक्षणिक संस्थानों में ऐसी अफवाह फैलाने वालों का उद्देश्य क्या हो सकता है? क्या वे इन संस्थानों के आधार को कमजोर करना चाहते हैं, या अभिभावकों और छात्रों को शिक्षा के प्रति भयभीत करने का इरादा है।
ईमेल बम से छात्रों, अध्यापकों और अभिभावकों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है, ऐसे लोगों का मकसद कुछ भी हो सकता है। देश के शैक्षणिक संस्थानों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। इस प्रश्न का जवाब तो सुरक्षा एजेंसियों के पास भी नहीं मिलेगा। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि शैक्षणिक संस्थान ईमेल बम, कॉल बम और विभिन्न साइबर हमलों को लेकर कितने मुस्तैद हैं। केंद्र और राज्य स्तर पर सभी शैक्षणिक संस्थानों को अपने यहां बाह्य और आंतरिक अपराध निवारण कक्ष का निर्माण करना चाहिए।
शिक्षण संस्थानों की वेबसाइट, ईमेल अड्रेस के साथ ही सभी संपर्क लिंक को केंद्र और राज्यों के मुख्य साइबर अपराध निवारण केंद्र से लिंक करना चाहिए। स्कूल-कॉलेजों में स्वचालित सॉफ्टवेयर स्कैन और ईमेल फिल्टर सॉफ्टवेयर का उपयोग करना चाहिए ताकि किसी भी संदिग्ध संदेश या कॉल से बचा जा सके। स्कैन और फिल्टर सॉफ्टवेयर निर्धारित करेगा कि कौन-सा कॉल, ईमेल उपयोगी है और कौन-सा अनुपयोगी। अनुपयोगी ईमेल और कॉल को ब्लॉक करके मुख्य अपराध निवारण केंद्र तक सचूना पहुंचाई जा सकती है। ग्रामीण इलाकों के स्कूल-कॉलेजों में भी सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना होगा। शिक्षण संस्थानों में ईमेल बम, कॉल बम और विभिन्न साइबर अपराधों को लेकर सप्ताह में एक बार जागरूकता बढ़ाने की कवायद अवश्य की जानी चाहिए।
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