ईरान-इजराइल टकराव : वैश्विक संकट का अंदेशा

Last Updated 17 Apr 2024 01:47:30 PM IST

ईरान-इजराइल युद्ध को लेकर पूरी दुनिया एक बार फिर संकटों से घिरती नजर आ रही है। ईरान ने इजराइल पर अपने ड्रोन और मिसाइलों से प्रतीक्षित पहला प्रत्यक्ष हमला कर दिया है।


ईरान-इजराइल टकराव : वैश्विक संकट का अंदेशा

इजराइल सेना के प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हगारी के अनुसार ‘ईरान ने 300 से अधिक आत्मघाती ड्रोन, बैलेस्टिक मिसाइलों तथा क्रूज मिसाइलों द्वारा हमला कर दिया है। वास्तव में यह संकटपूर्ण स्थिति है।’

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तेल अवीव में युद्ध की घातक स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपनी कैबिनेट की बैठक बुलाई और कहा, ‘हमारी रक्षात्मक प्रणाली जहां तैयार, तैनात और तत्पर है वहीं अब हम रक्षात्मक तथा आक्रमणात्मक, दोनों तरह से किसी भी स्थिति के लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं।’ वास्तव में यह तनाव और तनातनी उस समय चरम पर जा पहुंची जब इजराइल के 1 अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क स्थित ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हवाई हमले से ईरान के एक वरिष्ठ जनरल सहित सेना के सात अधिकारी मारे गए। उसी दिन इजराइल को दंडित करने की घोषणा, ईरान द्वारा सार्वजनिक रूप से कर दी गई थी।   

आखिरकार, आशंका हकीकत में बदल गई और ईरान ने इजराइल पर ड्रोन और मिसाइलों से बौछार शुरू कर दी और कहा कि इजराइल ने हमले की जो पहल की थी, उसी का यह जवाब है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 के आधार पर यदि संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य के विरु द्ध सशस्त्र हमला होता है, तो वर्तमान चार्टर में कुछ भी व्यक्तिगत या सामूहिक आत्मरक्षा के अन्तर्निहित अधिकार को खराब नहीं करेगा, जब तक कि सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक उपाय नहीं करती। ईरान ने इसका ध्यान रखते हुए 13 दिन बाद आखिरकार, इजराइल की कार्रवाई का बदला लिया।

इस बहुउद्देशीय हमले का प्रमुख लक्ष्य इजराइल के एअर डिफेंस सिस्टम को कमजोर करना रहा। ईरान ने इस हमले को ‘ऑपरेशन टू प्रॉमिस’ नाम दिया और कहा कि यह इजराइल के अपराधों की सजा है। इस घटना से सतर्क इजराइल ने अपने आयरन ड्रोन एयर डिफेंस सिस्टम भी एक्टिव किए जो अधिकांश हमलों को नाकाम करने में सफल रहे। ईरानी मिसाइलों ने नेगेव रेगिस्तान में इजराइली एयरबेस को भी तबाह कर दिया। तेहरान की खबर के अनुसार यहीं से इजराइल ने दमिश्क में हमला करके ईरानी दूतावास पर मिसाइलें दागी थीं।

इस हमले के बाद इजराइल ने संयुक्त राष्ट्र से ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की। आईआरजीसी ईरानी सशस्त्र बलों की एक शाखा है, जिसकी स्थापना 22 अप्रैल, 1979 को अयातुल्ला रुहोल्ला मोसाबि खुमैनी के आदेश से ईरानी क्रांति के पश्चात की गई थी। हमास ने इजराइल पर ईरान के हमले का स्वागत किया है, और कहा कि यह एक प्राकृतिक अधिकार और योग्य प्रतिक्रिया है। ईरान ने इजराइल के साथ ही अमेरिका को भी चेतावनी दी है कि इजराइली सैन्य कार्यवाही का समर्थन न करे। ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बखेरी ने स्टेट दूरदर्शन को बताया, ‘अगर इजराइल ने ईरान के विरुद्ध जवाबी कार्रवाई की तो हमारी प्रतिक्रिया आज की सैन्य कार्रवाई से कहीं अधिक बड़ी होगी। यदि अमेरिका इजराइल को सहयोग देगा तो अमेरिकी ठिकानों को भी निशाना बनाया जाएगा।’

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइल के प्रधानमंत्री से नेतन्याहू से कहा है कि अमेरिका इजराइल के किसी भी जवाबी हमले का विरोध करेगा और किसी भी जवाबी कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेगा। क्या इजराइली प्रधानमंत्री अपनी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के लिए जवाबी कार्रवाई करके दुनिया के लिए संकट का एक नया द्वार खोल देंगे। इजराइल काउंटर कार्रवाई करता है तो निश्चित रूप से युद्ध का सिलसिला बढ़ता ही जाएगा। जल्द थमने का नाम नहीं लेगा।

लेबनानी मीडिया की रिपोर्ट है कि इजराइल ने सीमा से लगभग 100 किलोमीटर दूर हमला किया है जबकि जोर्डन का कहना है कि उसने अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रोजेक्टाइल को रोका है। इजराइल तथा अमेरिका के जेट विमानों ने सीरियाई हवाई क्षेत्र में दर्जनों ईरानी ड्रोनों को मार गिराया और वे सभी लक्ष्य के पूर्व ही निरस्त कर दिए गए। ये दर्जनों ड्रोन और मिसाइल दक्षिण सीरिया के डेरा प्रांत, सीरियाई गोलान हाइट्स और इराक के साथ सीमा पर पूर्वी सीरिया के अनेक स्थानों पर उड़ रहे थे। जॉर्डन के प्रधानमंत्री बिशेर खसावनेह का कहना है कि क्षेत्र में कोई भी तनाव ‘खतरनाक रास्ते’ की ओर ले जाएगा और सभी पक्षों को तनाव करने तथा नियंत्रित करने की आवश्यकता है। ईरान द्वारा आकस्मिक बड़े आक्रमण के बाद इजराइल ने स्वीकार किया, ‘इन हमलों से केवल हमारे एक सैन्य अड्डे को मामूली क्षति हुई है, और अधिकांश हवाई खतरों को रोक दिया गया।’

उधर, अमेरिका जी-7 देशों (कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके तथा यूएसए) की आपात बैठक में इस समस्या पर विचार-विमर्श करेगा। संयुक्त राष्ट्र और नाटो ने इस मामले पर बैठक बुलाई है। इजराइल ने 24 घंटे के अंदर काउंटर अटैक करने की बात तो कही है, किन्तु वह भी भलीभांति जानता है कि भले ही अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड सहित अनेक देशों का उसे साथ मिल रहा है, किन्तु यू्क्रेन की तरह स्वयं को ही परिणाम भुगतना पड़ेगा।

दूसरी ओर, ईरान का साथ देने के लिए रूस, चीन और उत्तर कोरिया नजर टिकाए हुए हैं। भारत भी  ऊहा-पोह की स्थिति में है, क्योंकि ईरान और इजराइल के साथ उसके मित्रवत संबंध हैं। इसलिए भारत इजराइल को संयम, नियम एवं धैर्य से काम लेने की सलाह दे रहा है। इजराइल भी इस समय असमंजस में है, क्योंकि हमास, हुती और हिजबुल्लाह (एच-3) के साथ चौथे मोर्चे पर ईरान संभल कर जवाब देना चाहेगा किन्तु नेतन्याहू अपनी सुरक्षा और प्रतिष्ठा के कारण ईरान पर कार्रवाई करते हैं, तो इस महासमर में विरोधी और समर्थक देशों के जुड़ने के आसार भी बहुत बढ़ जाएंगे। कहीं जवाबी हमला अपनी सीमाओं से हटकर दुनिया के अन्य देशों को भी अपनी चपेट में न ले ले। यदि संकटों से घिरती दुनिया पर समय पर ध्यान नहीं दिया गया, तो कल बहुत देर हो जाएगी।

डॉ. सुरेन्द्र कु. मिश्र


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