अर्थव्यवस्था : पांच राज्यों का दमदार समर्थन
आधुनिकता और विकास की संकल्पना पहले दिन से पश्चिमी देशों के हित के आधार पर तय होती रही है। इस संकल्पना के साथ 20वीं सदी के उत्तरार्ध से लेकर इक्कीसवीं सदी की अब तक की यात्रा में विकास और रक्षा सामथ्र्य में वर्चस्व अमेरिका और यूरोपीय देशों के पास रहे हैं, लेकिन यह कहानी 21वीं सदी में बदल रही है।
अर्थव्यवस्था : पांच राज्यों का दमदार समर्थन |
खास तौर पर जिस रणनीतिक रूप से बीते एक दशक से नरेन्द्र मोदी सरकार काम कर रही है, उसने भारत में विकास के अब तक के प्रचलन को बदल कर रख दिया है।
इस यात्रा में कई सारी चुनौतियां भी रही हैं पर चमकदार बात यह है कि सहकारिता पर आधारित राज्य और केंद्र के साझा विकास की जो राह भारत ने 2014 के बाद से पकड़ी है, उसके अपने नतीजे सामने आने लगे हैं। नतीजे उस दौर में खासे सुखद हैं जब बड़ी अर्थव्यवस्थाएं गोते लगा रही हैं। कोविड के बाद पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्था को लेकर एक नए तरह का संकट पैदा हुआ है। ऐसे में आईएमएफ अगर बढ़ कर कहता है कि भारत एक ‘ब्राइट स्पोर्ट’ है, तो इस संभावना और चमक में भारत के उन राज्यों का भी बड़ा हाथ है, जिनने पिछले एक दशक में विकास के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। बहरहाल, भारत अगले कुछ वर्षो में पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने के लिए कमर कसकर तैयार है।
चीन, जर्मनी और अमेरिका जैसी बड़ी आर्थिक ताकतों पर छाए मंदी के संकट के बीच भारत की इकोनॉमी फुल स्पीड से बढ़ रही है। भारत को ग्रोथ का वैश्विक इंजन मान लें, तो राज्य भी डिब्बे की तरह उसका बखूबी साथ निभा रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक की निजी क्षेत्र में निवेश गतिविधियों संबंधी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में उद्योग लगाने के लिए मंजूर 57.2 फीसद परियोजनाएं पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, महाराष्ट्र और कर्नाटक के हाथ लगी हैं। यानी अगर इन राज्यों ने ही अपना लक्ष्य पा लिया तो अगले दशक तक भारत विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक सुखद संयोग यह भी है कि बीमारू राज्य के तौर पर विख्यात यूपी ने इस मामले में महाराष्ट्र से बेहतर प्रदशर्न किया है। इस सत्य से गुरेज नहीं कि महाराष्ट्र की जीडीपी आज भी कई राज्यों से काफी बड़ी है। 430 अरब डॉलर और साढ़े आठ प्रतिशत के ग्रोथ रेट के साथ महाराष्ट्र विकसित भारत की इमारत का सबसे मजबूत पिलर है। महाराष्ट्र ने जहां 2030 तक प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की घोषणा की है, तो उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश को 2027 तक ही इस स्तर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। ये लक्ष्य हासिल करने मुश्किल हैं, लेकिन केंद्र और राज्यों की सरकारें जिस तरह के प्रयास कर रही हैं, उससे सकारात्मक माहौल तो बना ही है।
विश्व में विकास का नया मॉडल दिखाकर निवेश आकर्षित करने वाले गुजरात ने भी भारत 5 ट्रिलियन इकोनॉमी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का आह्वान किया है। गुजरात सरकार ने 2027 तक जीडीपी को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। आरबीआई की रिपोर्ट की मानें तो उसने इस दिशा में तेजी से प्रयास किए हैं, जिसके परिणाम भी आने लगे हैं। राज्य सरकार मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर पर खासा ध्यान दे रही है। गुजरात में पहले से ही ऑटो, फार्मा, केमिकल, टैक्सटाइल्स और पेट्रोलियम इंडस्ट्री से जुड़ी कई कंपनियां कार्य कर रही हैं। 2022-23 में देश में सबसे अधिक गुजरात की 82 विकास परियोजनाओं को बैंकों और वित्तीय संस्थाओं ने फंड मंजूर किए। इस श्रेणी में 48 परियोजनाओं के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर और 45 परियोजनाओं के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है।
साक्षरता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपना झंडा बुलंद करने वाले दक्षिण के राज्य भी पीछे नहीं हैं। तमिलनाडु भी एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने के रास्ते पर तेजी से बढ़ रहा है। फिलहाल राज्य की जीडीपी 320 अरब डॉलर है। तमिलनाडु की सरकार ने एक ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य पर पहुंचने के लिए 2030 तक का लक्ष्य रखा है। ऑटोमोबाइल, टैक्सटाइल्स, लेदर, फार्मा, केमिकल और प्लास्टिक से जुड़ी इंडस्ट्रीज समेत देश में सबसे ज्यादा फैक्ट्रीज इसी राज्य में हैं। यही नहीं, तमिलनाडु देश का तीसरा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर भी है। कर्नाटक भी देश की इकोनॉमी को मजबूती देने में अपनी प्रबल भागीदारी सुनिश्चित करने में जुटा है। ग्लोबल इनोवेशन और स्टार्टअप का हब कहे जाने वाले इस राज्य ने 2047 तक प्रदेश को एक ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है।
हालांकि, फिलहाल 8.8 फीसद ग्रोथ रेट वाले इस राज्य को इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए 15 फीसद की रफ्तार से आगे बढ़ना होगा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसने अपने यहां सर्विस सेक्टर को बढ़ावा देने के साथ ही बायोटेक्नोलॉजी, सॉफ्टवेयर डवलपमेंट और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों को तवज्जो देनी शुरू कर दी है।
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