विश्लेषण : शाहरुख ने ठीक नहीं किया
आज कल सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें शाहरुख खान सिमी ग्रेवाल को गर्व से कह रहे हैं कि उनका बेटा दो बरस की आयु से ही अगर ड्रग्स ले या सेक्स करे तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।
विश्लेषण : शाहरुख ने ठीक नहीं किया |
अगर वीडियो सही है, तो मजाक में भी एक पिता का अपने बेटे के विषय में ऐसा सोचना बहुत चिंताजनक है। हाल में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को क्रूज की ‘रेव पार्टी’ से एनसीबी ने गिरफ्तार किया है, जिस पर टीवी एंकर कई दिनों से भरतनाट्यम कर रहे हैं जबकि देश की अन्य कई महत्त्वपूर्ण दुर्घटनाओं की तरफ उनका ध्यान भी नहीं है।
यह कोई अजूबा नहीं है। पिछले सात वर्षो में ज्यादातर मीडिया ने अपनी हालत चारण और भाटों जैसी कर ली है। देशवासी तो उन्हें देख- सुनकर ऐसा कह ही रहे हैं, पर मेरी चिंता का विषय इससे ज्यादा गंभीर है। उस पर मैं बाद में आऊंगा।
पहले ड्रग्स कार्टल को लेकर एक पुरानी बात बता दूं। 34 वर्ष पहले की बात है। ‘न्यू यार्क टाइम्ज’ की एक अमेरिकी महिला संवाददाता मुझे दिल्ली में किसी मित्र के घर लंच पर मिली। उन दिनों न्यूयार्क में ड्रग्स के भारी चलन की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही थी। मैंने उत्सुकतावश उससे पूछा कि तुम्हारे यहां भी क्या पुलिस महकमे में इतना भ्रष्टाचार है कि न्यूयार्क जैसे बड़े शहरों में ड्रग्स का प्रचलन सरेआम हो रहा है? उसने बहुत चौंकाने वाला जवाब दिया। वो बोलीं, न्यूयार्क में साल भर में ड्रग्स के मामले में जितने लोगों को न्यूयार्क पुलिस पकड़ती है, अगर वो सब जेल में बंद रहें तो साल भर में आधा न्यूयार्क खाली हो जाए। उसके इस वक्तव्य में अतिशयोक्ति हो सकती है, पर उसका भाव यह था कि पुलिस में फैले भारी भ्रष्टाचार के कारण ही वहां ड्रग्स का कारोबार इतना फल-फूल रहा है।
यह कोई अपवाद नहीं है। जिस देश में भी ड्रग्स का धंधा फल-फूल रहा है, उसे निश्चित तौर पर वहां की पुलिस और सरकार का परोक्ष संरक्षण प्राप्त होता है। वरना हर देश की सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा और देश में आने वाले हवाई जहाजों, पानी के जहाजों और सड़क वाहनों की कस्टम तलाशी के बावजूद ड्रग्स कैसे अंदर आ पाते हैं? ये उन देशों के नागरिकों के लिए बहुत ही चिंता का विषय है क्योंकि इस तरह पूरे देश की धमनियों में फैलने वाले ड्रग्स का प्रभाव न सिर्फ युवा पीढ़ी को बर्बाद करता है, बल्कि लाखों औरतों को विधवा और करोड़ों बच्चों को अनाथ भी बना देता है।
आर्यन खान के मामले में या उससे पहले रिया चक्रवर्ती के मामले में हमारे मीडिया ने जितनी आंधी काटी उसका एक अंश ऊर्जा भी इस बात को जानने में खर्च नहीं की कि गरीब से अमीर तक के हाथ में, पूरे देश में ड्रग्स पहुंचती कैसे है? अभी हाल ही में एनसीबी ने गुजरात में अडानी के प्रबंधन में चल रहे बंदरगाह से 3000 किलो ड्रग्स पकड़ी, जो अफगानिस्तान से ‘टेल्कम पाउडर’ बता कर आयात की गई थी। इस पकड़ के बाद एनसीबी ने जांच को किस तरह आगे बढ़ाया, यह हर पत्रकार की रुचि का विषय होना चाहिए था। पर इस पूरे मामले पर चारण और भाट मीडिया ने चुप्पी साध ली। यह बहुत ही खौफनाक है। यह हमारे मीडिया के पतन की पराकाष्ठा का प्रमाण है।
इससे भी बड़ी घटना एक और हुई जिसे मीडिया ने बहुत बेशर्मी से नजरअन्दाज कर दिया। जबकि ड्रग्स के मामले में वो खबर भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के इतिहास की शायद सबसे बड़ी खबर होनी चाहिए थी। अभी दो हफ्ते पहले 20 सितम्बर को हैदराबाद से छपने वाले अंग्रेजी अखबार ‘डेक्कन क्रॉनिकल’ ने एक खोजी खबर छापी थी कि अडानी के ही बंदरगाह के रास्ते जून, 2021 में देश में 25 टन ड्रग्स, उसे भी सेमीकट टेल्कम पाउडर बल्क बताया जा रहा है, भारत में आई। इसकी कीमत खुले बाजार में 72 हजार करोड़ रुपये है। पहला प्रश्न तो यह है कि टीवी चैनलों पर उछल-कूद मचाने वाले मशहूर एंकरों ने इस खबर का संज्ञान क्यों नहीं लिया? दूसरी बात, भारत जैसे औद्योगिक रूप से काफी विकसित देश में अफगानिस्तान से ‘टेल्कम पाउडर’ आयात करने की क्या जरूरत आन पड़ी? दुनिया जानती है कि अफगानिस्तान पूरी दुनिया में ड्रग्स बेचने का एक बड़ा केंद्र है, और ड्रग्स और ‘टेल्कम पाउडर’ दिखने में एक जैसे होते हैं। इसलिए अफगानिस्तान से अगर कोई ‘टेल्कम पाउडर’ का आयात कर रहा है, तो उसकी जांच-पड़ताल में तो कोई कोताही होनी ही नहीं चाहिए।
संदेह की सुई इसलिए भी हैरान करने वाली है कि अडानी पोर्ट से राजस्थान की ट्रांसपोर्ट कंपनी के जिस ट्रक नम्बर आरजे 01 जीबी 8328 में यह 25 टन माल रवाना किया गया, उसने अपने कथित गंतव्य तक पहुंचने के अपने रास्ते में एक भी टोल बैरियर पार नहीं किया। मतलब दस्तावेज में ट्रक का नाम और नम्बर फर्जी तरीके से लिखा गया। इस 25 टन के खेप का आयात करने वाला व्यक्ति माछेवरापु सुधाकर चेन्नई का रहने वाला है। इसने अपनी पत्नी वैशाली के नाम ‘आशि ट्रेडिंग कंपनी’ के बैनर तले यह माल आयात किया था। इस कंपनी को जीएसटी, विजयवाड़ा के एक रिहायशी पते के आधार पर दिया गया है, जिसे दस्तावेज में कंपनी का मुख्यालय बताया गया है। जब ‘डेक्कन क्रॉनिकल’ के संवाददाता एन वंशी श्रीनिवास ने विजयवाड़ा के सत्यनारायणा पुरम जाकर तहकीकात की तो उन्हें पता चला कि वह पता वैशाली की मां के घर का है, जहां किसी भी कंपनी का कोई कार्यालय नहीं है। आगे तहकीकात करने पर पता चला कि पिछले वर्ष ही पंजीकृत हुई इस कंपनी का घोषित उद्देश्य काकीनाडा बंदरगाह से चावल का निर्यात करना था पर पिछले पूरे एक वर्ष में अडानी के बंदरगाह से जून, 2021 में आयात किए गए इस 25 टन तथाकथित ‘टेल्कम पाउडर’ के सिवाय इस कंपनी ने कोई और कारोबार नहीं किया।
इतने स्पष्ट प्रमाणों और इतनी संदेहास्पद गतिविधियों पर भी देश का मीडिया कैसे खामोश बैठा है? आर्यन खान ने जो किया उसकी सजा उसे कानून देगा। पर आर्यन जैसे देश के करोड़ों युवाओं के हाथों में ड्रग्स पहुंचने का काम कौन कर रहा है, क्या इसकी भी खोज-खबर लेना अपने देश के नामी मीडिया वालों की नैतिक जिम्मेदारी नहीं है?
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