फिनलैंड : सबसे युवा सना सरकार
दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री बनते ही सना मरीन (34 वर्षीय) दुनिया भर में चर्चित हो गई। फिनलैंड की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता सना पूर्व सरकार में परिवहन मंत्री थीं।
फिनलैंड : सबसे युवा सना सरकार |
मरीन की ही तरह यूक्रेन के प्रधानमंत्री ओलेक्सी होन्चारूक 35 साल के हैं। अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायिब बुकेले 38 के हैं। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न 39 की हैं। हैती के पीएम फ्रिट्ज विलियम 39 के हैं। परंतु सबसे कम उम्र में यह रुतबा हासिल करने वाली सना को महिला होने के नाते शायद सबसे ज्यादा तवज्जो दी गई।
अपने दम पर अपनी पहचान कायम करने वाली मरीन ने जीत हासिल करते ही कहा-हमें विश्वास बहाल करने के लिए काफी काम करना होगा। मीडिया में उम्र संबंधी सवालों पर उन्होंने कहा, मैंने कभी उम्र या महिला होने के बारे में ज्यादा सोचा ही नहीं। मैं खास वजह से राजनीति में आई हूं। इन्हीं के लिए मतदाताओं का विश्वास भी जीता है। सना अपनी मां और उनकी मित्र, जो समलैंगिक हैं, के साथ किराये के मकान में रहीं। हमारे लिए यह हैरानी की बात हो सकती है, मगर देश के सबसे शक्तिशाली स्थान पर पहुंचने वाली यह महिला फख्र से बताती हैं कि उसके पालक समलैंगिक हैं और अपनी सफलता का सारा श्रेय भी उन्हीं को देती हैं। यूनीवर्सिटी तक पहुंचने वाली वह परिवार की पहली शख्स हैं। प्रशासनिक विज्ञान में मास्टर डिग्री लेने वाली सना कहती हैं-मैं बचपन से खुद को अदृश्य महसूस करती थी। मैं अपने परिवार के बारे में खुल कर बोल नहीं पाती थी।
हालांकि मेरी मां कहती थी, तुम जो चाहती हो, वह पा सकती हो। मैंने कभी भी अपने लिंग या उम्र के बारे में नहीं सोचा। मैं केवल हिम्मत के साथ काम करती हूं। 22 महीने की बच्ची की वह बिन ब्याही मां हैं। जल्द ही अपने साथी मार्कस रायक्कोनेन से शादी करने की मंशा भी व्यक्त कर चुकी हैं। जाहिर है उनकी प्राथमिकताओं में विवाह काफी पीछे था। यह बात थोड़ी हैरत में डालने वाली है, मगर हफ्ते में सिर्फ 24 घंटे काम करने की नसीहत देने वाली युवा प्रधानमंत्री का आत्मविश्वास राजनीति में ही नहीं, मातृत्व को भी खासी तवज्जो देता है। उनके इंस्टाग्राम पर अपनी बच्ची को दूध पिलाती फोटुएं भी देखी जा सकती हैं। मात्र 27 साल की उम्र में टैम्परे की नगर प्रमुख बनी सना ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि उनकी कैबिनेट में बड़े पदों पर औरतें ही होंगी। उनकी कैबिनेट में 18 मंत्रियों में 12 औरतें हैं। पिछली सरकार ने मंदी से निपटने के लिए 700 डाक कर्मचारियों के मेहनताने में कटौती करने का ऐलान किया था। सरकार के फैसले के विरोध में महीने भर से जारी डाक हड़ताल तुड़वाने में विफल रहे प्रधानमंत्री एंटी रिने के इस्तीफे के बाद आनन-फानन यह चुनाव हुआ। फिनलैंड यूरोप के उन चुनिंदा देशोें में से है, जहां लगातार जनता को रोजगार मुहैया कराने पर काम किया जाता है। बेघरों के लिए विशेष अपार्टमेंट की व्यवस्था होती है तथा एनजीओ के मार्फत स्थानीय लोगों के जीवन स्तर के सुधार के कार्यक्रम चलते रहते हैं। मरीन जलवायु परिवर्तन, सेहत और युवाओं पर विशेष तवज्जो देना चाहती हैं। यहां की शिक्षा प्रणाली को दुनिया भर में बेहतरीन माना जाता है। बच्चों को स्कूल में बहुत कम देर के लिए रखा जाता है, उन्हें कोई होमवर्क नहीं जाता। अनिवार्य शिक्षा के बावजूद यहां किशोर होने से पहले इम्तिहान का भी कोई दबाव नहीं होता।
सना से वहां के शिक्षाविदें को और भी उम्मीदें हैं। हालांकि कहा जा सकता है कि राजीव गांधी 40 की उम्र में भारत के प्रधानमंत्री बने थे। लेकिन उनकी पृष्ठभूमि ठेठ राजनीतिक थी। वर्तमान में हमारी 60 फीसद जनसंख्या युवा है, बावजूद इसके सांसदों की औसत उम्र 61 साल है। अपने यहां शीर्ष पदों पर वरिष्ठों को बिठाने की परंपरा ही नहीं है बल्कि ऐसी सामाजिक मानसिकता भी है, जो युवाओं की राय लेने से भी अचकचाती है। बेहद सलीके से हर व्यवस्था में स्थापित किया जाता है कि अनुभवों के आधार पर ही सोच परिपक्व होती है। दूल्हा नहीं बने पर बारातें तो की हैं, जैसी सोच को कोई तवज्जो नहीं दी जाती। तकनीकी, साधनों, बिक्री व बाजार सरीखें कुछ क्षेत्रों में आधुनिक सोच वाले युवाओं को प्राथमिकता देने के नतीजे बेहतरीन आए हैं। बात बाजार की हो या राजनीति की, युवाओं के प्रतिनिधित्व को नकारा नहीं जा सकता। उन्हें उम्र या अनुभवों का हवाला देकर हमेशा हाशिए पर ढकेले रखना सार्थक नहीं होता। सना मरीन के राजनैतिक निर्णयों पर निसंदेह दुनिया भर की नजर रहने वाली हैं, जो इस दकियानूसी विचार की धज्जियां उड़ाने वाली भी साबित हो सकते हैं।
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