क्रिकेट : डीआरएस और ‘खेल’ भावना
बेंगलुरू में खेले गए दूसरे टेस्ट में टीम इंडिया रोमांचक अंदाज में 75 रन से जीत पाकर भले ही सीरीज में एक-एक से बराबरी पर आ गई.
क्रिकेट : डीआरएस और ‘खेल’ भावना |
पर इस टेस्ट भारत की जीत से ज्यादा सुर्खियां ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ और हैंड्सकोंब द्वारा डीआरएस मामले में की गई धोखाधड़ी बनी.
इस पूरे मामले में आईसीसी का रवैया बहुत ही गलत रहा है और जिसकी भरपूर आलोचना भी हो रही है. लेकिन बीसीसीआई के सीईओ राहुल जोहरी और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के सीईओ जेम्स सदरलैंड की मुलाकात के बाद भारत द्वारा आईसीसी से की अपनी आधिकारिक शिकायत को वापस ले लेने से अब इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होगी, यह तय हो गया है. वैसे भी क्रिकेट रियल्टी शो जैसी वास्तविकताओं वाला खेल नहीं है, जिनमें सारी चीजें से पहले से तय होती हैं. यह सही है कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने डीआरएस के नियम का ही उल्लंघन नहीं किया बल्कि क्रिकेट की भावना को भी तोड़ा है, फिर भी इन सब बातों को भूलकर आगे बढ़ने में ही भलाई है.
शायद इसी भावना से शिकायत को वापस लिया गया है. पर इस पूरे मामले में आईसीसी का रवैया कतई उचित नहीं रहा है. एक तरफ तो आईसीसी छोटी-छोटी बातों पर खिलाड़ियों के खिलाफ कार्रवाई करता नजर आता है और इस मामले में उसने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि वह कोई कार्रवाई नहीं करने जा रहा है. अब सवाल यह है कि यदि किसी दूसरे टेस्ट में कोई खिलाड़ी इसी तरह का काम करता है, तो आईसीसी क्या करेगा? वह यदि इसी तरह कार्रवाई करने से इनकार करेगा तो खेल में अनुशासनहीनता बढ़ने का डर रहेगा और कार्रवाई करेगा तो उसे पक्षपात माना जाएगा. इस वजह से ही भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि वह रांची में खेले जाने वाले तीसरे टेस्ट में विराट को डीआरएस पर रेफरल के लिए ड्रेसिंग रूम से मदद मांगते हुए देखना चाहते हैं. साथ ही यह भी चाहेंगे कि उन्हें कोई सजा भी नहीं मिले.
स्मिथ और हैंड्सकोंब के इस गलत कारनामे के बाद भी क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया का उनके पीछे खड़े होने और आईसीसी के रवैये से आजिज आकर ही बीसीसीआई ने इस मामले में आईसीसी से आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई थी. उसने दस्तावेजों के साथ इस घटना के वीडियो फुटेज आईसीसी को भेजकर लेवल दो का चार्ज लगाया था. इस पर आईसीसी कार्रवाई करता तो दोनों खिलाड़ियों पर 50 से 100 प्रतिशत मैच फीस काटने या एक टेस्ट की पाबंदी लगाने की सजा देनी पड़ती. यह सही है कि ऐसा होने पर सीरीज के दौरान दोनों टीमों में कड़वाहट आ जाती. पर इस मामले में अंपायरों ने स्वत: संज्ञान तो लिया ही नहीं और विराट द्वारा इसकी शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
बराबर की टीम होने के चलते ही दोनों कप्तान एक-दूसरे पर मनोवैज्ञानिक दवाब बनाने का प्रयास करते रहे हैं और इस कारण से सीरीज में गर्माहट आती जा रही है. इस गर्माहट का ही परिणाम था कि इशांत की गेंद खेलने पर कप्तान स्मिथ द्वारा करने पर कोई एक्शन करने पर इशांत उन्हें मुंह बिचकाते नजर आए थे. क्रिकेट में इस तरह की घटनाएं कोई नई नहीं हैं. पहले भी खिलाड़ी एक-दूसरे पर टीका टिप्पणी करते रहे हैं. इसी तरह कई बार आईसीसी कोड का उल्लंघन भी होता रहा है. लेकिन इस सबके बावजूद सीरीज में गर्माहट आने से खेल में रोमांचकता भी बढ़ती है. इसी का परिणाम है कि बेंगलुरू टेस्ट को कमेंटेटर कपिल देव और वीवीएस लक्ष्मण पिछले दो सालों का सबसे रोचक टेस्ट कह रहे थे.
इस सीरीज से दोनों ही टीमों की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. स्मिथ 2004 के बाद भारत में सीरीज जीतने वाले पहले ऑस्ट्रेलियाई कप्तान बनना चाहते हैं. वहीं कोहली लगातार छठी सीरीज जीतने का इरादा रखते हैं. स्मिथ ने जब पुणो में खेले गए पहले टेस्ट को जीतने के बाद दूसरे टेस्ट की पहली पारी में बढ़त बना ली तो भारत ने जबर्दस्त वापसी का प्रदर्शन करके जीत हासिल तो की ही, क्रिकेट की रोमांचकता को चार चांद लगा दिए. टेस्ट क्रिकेट को यदि इसी अंदाज में खेला जाए और मैचों में परिणाम निकाले जाएं तो आईसीसी और राष्ट्रीय क्रिकेट बोडरे को टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए दिन-रात में गुलाबी गेंद से मैच खिलाने के विकल्पों से बचने को मिल सकता है. पर इतना जरूर है कि भले ही ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ और हैंड्सकोंब को इस मामले में सजा भले ही नहीं मिली है पर सबक जरूर मिल गया है.
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