ब्रिटिश एयरोस्पेस और रोल्स-रॉयस पर FIR

Last Updated 30 May 2023 08:26:53 AM IST

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए हॉक 115 अत्याधुनिक जेट प्रशिक्षण विमान (Hawk 115 state-of-the-art jet training aircraft) की खरीद में भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोप में ब्रिटिश एयरोस्पेस (british aerospace) और रक्षा कंपनी रोल्स-रॉयस पीएलसी (Rolls-Royce Plc), इसके वरिष्ठ अधिकारियों और शस्त्र विक्रेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज (FIR) की है।


ब्रिटिश एयरोस्पेस और रोल्स-रॉयस पर FIR

अधिकारियों ने यह जानकारी दी। प्राथमिकी के अनुसार, CBI ने मामले में छह साल की जांच पूरी होने के बाद भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत रोल्स-रॉयस इंडिया के निदेशक टिम जोन्स, कथित हथियार आपूर्तिकर्ता सुधीर चौधरी और भानु चौधरी तथा ब्रिटिश एयरोस्पेस सिस्टम के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

उन्होंने बताया कि 2017 में एक ब्रिटिश अदालत ने भी समझौते को अंजाम देने के लिए कंपनी द्वारा कथित रूप से बिचौलिये को शामिल करने और कमीशन का भुगतान करने का जिक्र किया था। आरोप है कि 2003-12 के दौरान साजिश में शामिल इन आरोपियों ने 73.42 करोड़ ब्रिटिश पाउंड की लागत से 24 हॉक 115 एजेटी की खरीद के लिए अज्ञात लोक सेवकों के साथ मिलकर ‘‘अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग’’ किया था।

इसके अलावा, उन्होंने निर्माता लाइसेंस शुल्क के नाम पर 30.82 करोड़ अमेरीकी डॉलर और 75 लाख अमेरीकी डॉलर की अतिरिक्त राशि के लिए रोल्स रॉयस को आपूर्ति की गई सामग्री के बदले ¨हदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के 42 अतिरिक्त विमानों के ‘लाइसेंस निर्माण’ की अनुमति दी।

CBI की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि यह सौदा रोल्स रॉयस द्वारा बिचौलियों को दी गयी ‘‘भारी भरकम रिश्वत, कमीशन और भ्रष्टाचार’’ के एवज में किया गया था, जबकि समझौते से संबंधित दस्तावेज में ‘बिचौलियों के भुगतान पर रोक’ की बात कही गई थी।

सीबीआई जांच से पता चला है कि 2006-07 में आयकर विभाग द्वारा किए गए एक सव्रेक्षण के दौरान रोल्स रॉयस इंडिया कार्यालय से लेन-देन से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए थे।

भाषा
नई दिल्ली


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