व्यवसाय कोई भी करे, सजा उसी को जिसके नाम पर होगा व्यवसाय
अगर परिवार में किसी सदस्य के नाम पर व्यवसाय चल रहा है, तो कोई चेक बाउंस होने पर व्यवसाय करने वाला नहीं, बल्कि जिसके नाम से व्यवसाय है, उसको जेल जाना पड़ेगा।
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अदालत ने इस तरह के एक मामले में व्यवसाय करने वाले पति को छोड़ उसकी पत्नी (जिसके नाम से व्यवसाय चल रहा था) को सजा सुनाई और जुर्माना ठोका। अदालत ने महिला को छह महीने कैद की सजा दी और डेढ़ लाख रु पए का जुर्माना देने को कहा। दोषी ठहराई गई महिला घरेलू महिला है, जिसके नाम से व्यवसाय था, लेकिन यह व्यवसाय उसका पति चलाता था।
कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि व्यवसाय महिला का पति देख रहा था। सिविल जज धीरज मित्तल ने बचाव पक्ष के उस तर्क को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि आरोपी एक घरेलु महिला है और मैसर्स श्रीदुर्गा कलर सेल्स कारपोरेशन का कामकाज उसका पति देख रहा था। उक्त चैक व्यवसायिक ट्रांजेक्शन की सिक्योरिटी के लिए दिया गया था। ऐसे में महिला की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती।
इस पर दूसरे पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क रखा था कि आरोपी को कड़ी सजा सुनाई जाए क्योंकि उसने व्यवसाय के लिए चैक दिया था। बैंक में उचित राशि न होने के चलते चैक का भुगतान नहीं हुआ। यह मामला वर्ष 2018 से लंबित है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने 1,20,672 रु पए का चैक दिया था और उसकी जिम्मेदारी थी कि यह सुनिश्चित करे कि उसका भुगतान समय पर हो। सभी तथ्य देखने के बाद अदालत ने आरोपी को छह माह की सजा सुनाते हुए उस पर बतौर मुआवजा डेढ़ लाख रु पए का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने महिला से एक माह में जुर्माने का भुगतान करने को कहा है। अदालत ने आरोपी को फैसले के खिलाफ अपील के लिए 30 जनवरी तक का समय प्रदान करते हुए उसे 20 हजार रु पए के निजी मुचलके व एक जमानत राशि पर जमानत प्रदान कर दी।
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