बजट 2018 : जानिए- क्या हुआ सस्ता, क्या हुआ महंगा
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार का आखिरी बजट गुरुवार को पेश किया. आइए जानते हैं बजट में क्या सस्ता हुआ है और क्या महंगा...
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सरकार ने जीएसटी को लागू किये जाने के बाद पेश पहले आम बजट 2018-19 में घरेलू मूल्य वर्धन और ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करने के लिए मोबाइल फोन, टेलीविजन, जूस, परफ्यूम, आयातित वाहन, ट्रक बस टायर, कृत्रिम ज्वेलरी, घड़ियां और बच्चों के खिलौने महंगे हो जायेंगे जबकि काजू और सौर पैनल सस्ते होंगे.
संसद में पेश साल 2018-19 के आम बजट में टेलीविजन के कलपुर्जे, मोबाइल फोन, फलों और सब्जियों के जूस, परफ्यूम और टॉयलेट वॉटर, आफ्टरशेव लोशन, वाहनों के कलपुर्जे, पूरी तरह निर्मित वाहन, ट्रक और बस के टायर, सिल्क फेब्रिक, जूता बनाने के समान, हीरे जवाहरात, घड़ियां, बच्चों के वीडियो गेम, मोमबत्ती, पतंग, चश्मे के शीशे, सिगरेट लाइटर,
मूंगफली, जैतून, बिनौला और सूरजमुखी के कच्चे तेल और परिस्कृत खाद्य तेलों पर शुल्क बढ़ाया गया है जिससे इनके महंगा होने की आशंका है.
मध्यम और उच्च शिक्षा के लिए आयातित समानों पर लगने वाले तीन प्रतिशत उपकर को समाप्त कर दिया गया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में आम बजट पेश करते हुये कहा कि पिछले दो दशक से सीमा शुल्क में कमी करने की नीति रही है, लेकिन इस बार मेक इन इंडिया को गति देने के उद्देश्य से कच्चे माल के रूप में उपयोगी वस्तुओं पर सीमा शुल्क में जहां कमी की गयी है, वहीं घरेलू मूल्य संवर्धन के लिए कुछ उत्पादों पर इसमें बढोतरी की गयी है.
उन्होंने कहा कि कुछ विशेष क्षेत्रों जैसे खाद्य प्रसंस्करण, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो कलपुर्जे, फुटवियर और फर्नीचर में घरेलू मूल्य वर्धन की व्यापक गुंजाइश है. इसे ध्यान में रखते हुये काजू प्रसंस्करण उद्योग की मदद करने के उद्देश्य से कच्चे काजू पर सीमा शुल्क पांच प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है.
उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन पर सीमा शुल्क को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, इसके कुछ कलपुर्जे और सहायक सामान पर 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया है.
टीवी के कुछ कलपुर्जे पर सीमा शुल्क साढ़े सात और 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है जबकि एलसीडी और एलईडी टेलीविजन के 12 विशेष कलपुर्जे पर 10 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाया गया है.
बजट भाषण में कहा गया है कि इन कदमों से देश में रोजगारों के सृजन को काफी बढ़ावा मिलेगा. दरअसल, इनसे आयातित उत्पादों की तुलना में घरेलू उत्पाद सस्ते हो जाएंगे और इसके परिणामस्वरूप इन उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा.
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