अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 प्रतिशत बढोतरी
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि माल एवं सेवार्क जीएसटी के आरंभिक विश्लेषण बताते हैं कि अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 प्रतिशत बढोत्तरी हुई है. कर के लिये खुद ही पंजीकरण कराने वालों की संख्या बढी है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो) |
केन्द्रीय वित्त एवं कारपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद में 2017-18 की आर्थिक समीक्षा पेश की. जेटली ने कहा कि माल एवं सेवार्क जीएसटी के आरंभिक विश्लेषण बताते हैं कि अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 प्रतिशत बढोत्तरी हुई है. कर के लिये खुद ही पंजीकरण कराने वालों की संख्या बढी है.
इसमें कहा गया है कि देश के निर्यात में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडू और तेलंगाना की 70 प्रतिशत तक हिस्सेदारी है.
विशेष तौर से जो छोटे उद्यमी हैं और जो बडे उद्योगों से खरीदारी करते हैं वह स्वयं कर जमा कराना चाहते हैं. इसमें कहा गया है कि दिसंबर 2017 तक 98 लाख जीएसटी पंजीकरण हुये हैं.
जीएसटी के अनेक लाभों में से एक लाभ यह है कि इसका स्वैच्छिक अनुपालन किया जाता है. यह बात इससे स्पष्ट हो जाती है कि 17 लाख ऐसे कारोबारियों ने पंजीकरण कराया है जिनका कारोबार जीएसटी की तय सीमा से कम है. उनके लिए पंजीकरण कराना आवश्यक नहीं है तो भी वह पंजीकरण कराते हैं. वास्तव में अनुमानित कुल 7.10 करोड गैर-कृषि उद्यमों में से लगभग 13 प्रतिशत जीएसटी में पंजीकृत है.
महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात ऐसे राज्य है जिनमें जीएसटी के तहत पंजीयकों की संख्या सबसे अधिक है. उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में कर- पंजीकरण की संख्या में पुरानी कर व्यवस्था की तुलना में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है.
मौजूदा आंकडों से ज्ञात होता है कि जीएसटी कर आधारित निर्यात को छोडकरी 65 से 70 लाख करोड रुपये है जो इन दो पूर्ववर्ती अनुमानों के काफी हद तक समान है. आरंभिक कुछ महीनों के दौरान किये गए औसत संग्रहण दर्ज कर भारी लगभग 15.6 प्रतिशत है.
जीएसटी विवरणियों से अंतर-राज्य व्यापार और इसके अनेक संबंधित आयामों पर प्रत्यक्ष आंकडें मिले हैं और भी उत्साहजनक बात यह है कि भारत के इतिहास में पहली बार हम माल और सेवाओं के अंतर्राष्ट्रीय निर्यातों के राज्य-वार वितरण के बारे में जान पाए हैं. पांच राज्य-महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना इस क्रम में भारत के कुल निर्यातों में 70 प्रतिशत के भागीदार हैं.
पिछले वर्ष की आर्थिक समीक्षा में अनुमान लगाया गया था कि भारत का आंतरिक व्यापार जीडीपी का 30 से 50 प्रतिशत के बीच था, जोकि अन्य देशों की तुलना के अपेक्षाकृत अधिक है. जीएसटी आंकडों से यह पता चलता है कि भारत का माल और सेवाओँ में गैर-जीएसटी माल और सेवाओं को छोडकर आंतरिक व्यापार वास्तव में जीडीपी का लगभग 60 प्रतिशत है.
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