जीडीपी में गिरावट चिंता का विषय: जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास वृद्धि दर के घटकर 5.7 प्रतिशत पर आने को चिंता का विषय बताते हुये कहा कि इससे अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियां आयेंगी.
![]() (फाइल फोटो) |
केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा गुरूवार को चालू वित्त वर्ष के अप्रैल जून तिमाही के जीडीपी के आंकड़े जारी किये जाने के बाद जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि विनिर्माण गतिविधियों में गिरावट इसका सबसे बड़ा कारक है. उन्होंने कहा कि आने वाली तिमाहियों में नीति एवं निवेश दोनों स्तर पर काम करना होगा ताकि जीडीपी के आंकड़ों में सुधार हो.
वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनुमान से अधिक सुधार हो रहा है और इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुये घरेलू सरकारी निवेश अधिक होना चाहिए और राजस्व का रूख भी सकारात्मक होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुल मानसून सही रहना चाहिए ताकि सकारात्मक असर हो सके.
_SHOW_MID_AD__
उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र में सुधार और विनिर्माण में गिरावट मुख्यत: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की वजह से हुआ है. अधिकांश विनिर्माताओं ने भंडारण कम कर दिया जिससे बिक्री बढ़ गयी और भंडारण भी लगभग समाप्त हो गया.
इस बीच उद्योग संगठन फिक्की ने जीडीपी के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि विकास के आंकड़ों से प्रतीत होता है कि कृषि और विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती आयी है.
इसके साथ ही देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने को लेकर बनी अनिश्चितता से भी पहली तिमाही में विकास दर प्रभावित हुआ है. हालांकि इस संगठन ने आने वाले महीने में इन प्रभावों के समाप्त होने की उम्मीद जताते हुये कहा कि कुल मिलाकर विकास की स्थिति अभी भी बेहतर है और चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो सकता है.
| Tweet![]() |