2014 में खरीदारी का तरीका बदला, पारंपरिक दुकानों को आनलाईन से मिली कड़ी टक्कर
आनलाईन शापिंग पर भारी-भरकम रियायत और बटन क्लिक करने भर से आसानी से सामान घर मंगाने की सुविधा ने 2014 को भारत में खुदरा खरीदारी में गहरे परिवर्तनों का वर्ष बना दिया.
2014 में खरीदारी का तरीका बदला (फाइल फोटो) |
पिछले कुछ वर्षों में जो आनलाईन खरीदारी किताबों, यंत्र-उपकरणों और कुछ अन्य सामग्रियों तक सीमित थी अब उस फेहरिस्त में परिधान, रसोई के बरतन, टिकाऊ उपभोक्ता सामग्री, मंहगे जेवरात, फर्नीचर या ऐसे सभी उत्पाद शामिल हो गए है.
ई-वाणिज्य क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव इस वर्ष अक्तूबर में दिखा. आनलाइन वाणिज्य क्षेत्र की तीन बड़ी कंपनियों फ्लिपकार्ट, आमेजन और स्नैपडील ने ग्राहकों का दिल जीतने के लिए धामाकेदार योजनाएं और भारी-भरकम रियायतों के साथ दिवाली-पूर्व खरीद का एक नया माहौल बना दिया.
स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटाप, कंप्यूटर के सामान, कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स जैसे सामान बाजार मूल्य से कम कीमत पर बेचे गए.
फ्लिपकार्ट ने छह अक्तूबर को ‘बिग बिलियन डे’ :एक अरब डालर की बिक्री के दिन: 10 घंटे के भीतर 10 करोड़ डालर :600 करोड़ रपए से अधिक: के सामान बेचने का दावा किया. पर इसके साथ ही एक विवाद शुरू हो गया. असंतुष्ट ग्राहकों ने आनलाइन खुदरा कंपनी के साथ तकनीकी खामी और धोखाधड़ी की शिकायत की.
स्नैपडील ने भी लगभग इतनी ही बिक्री का दावा किया जबकि आमेजन ने आंकड़ों का खुलासा नहीं किया.
पहले लोग उत्पादों के संबंध में आनलाईन जानकारी हासिल किया करते थे और फिर खरीदारी किसी दुकान से करते थे. अब रझान बदला है कि क्योंकि लोग अब शॉपिंग मॉल जाते हैं कपड़ों या जूतों के रंग-रूप आंकते हैं जो उन्हें अपने अनुकूल लगता है और बाद में वे आनलाईन खरीदारी करते हैं.
छोटे शहरों के उपभोक्ता भी आनलाईन खरीदारी से जुड़ रहे हैं और दुकानों की बिक्री घट रही है.
इन ग्राहकों को अपने पास बचाए रखने के लिए पश्चिम बंगाल के हावड़ा शहर में एक दुकानदार ने बोर्ड लगाया जिस पर लिखा था ‘आनलाईन क्यों खरीदें? हम आपको और सस्ता सामान देंगे?’
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