अमरीका से पैसा निकालेगा भारत!
अमरीका जैसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश को भारत ने भी कर्ज दे रखा है.क्या आप इस पर यकीन करते हैं!
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अमेरिका को कर्ज देने वाले 15 प्रमुख देशों में भारत भी शामिल है.
भारत ने अमरीका में बांड्स के जरिए निवेश किया है जिसको हम साधारण भाषा में कर्ज का दर्जा दे सकते हैं.
स्टैंडर्ड एंड पूअर्स द्वारा अमेरिका की सोवरेन रेटिंग 'एएए’ से घटाकर 'एए प्लस’ किये जाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक भी कुछ कदम उठा सकता है.
केंद्रीय बैंक लगभग उन्हीं देशों की ऋण प्रतिभूति खरीदने और रखने की अनुमति देता है जिन्हें 'एएए’ रेटिंग मिली है.
सूत्रों के अनुसार 41 अरब डालर के कुल ऋण प्रतिभूति में बहुलांश हिस्सेदारी रिजर्व बैंक के पास है. इसके अलावा कुछ बैंकों का भी पैसा वहां फंसा हो सकता है.
उनका यह भी कहना है कि रेटिंग कम होने के बावजूद रिजर्व बैंक अमेरिकी प्रतिभूति को रखने की अनुमति दे सकता है क्योंकि केंद्रीय बैंक स्वयं अमेरिका में कर्ज संकट के बावजूद पिछले करीब एक साल में अमेरिकी प्रतिभूति खरीदता रहा है.
गौरतलब है कि अमेरिका को कर्ज देने वाले 15 प्रमुख देशों में भारत भी शामिल है. अमेरिका के बढ़ते कर्ज में भारत की हिस्सेदारी लगभग 41 अरब डालर है जो फ्रांस तथा आस्ट्रेलिया जैसे देशों के मुकाबले अधिक है.
अमेरिका का कुल कर्ज बढ़कर 15000 अरब डालर हो गया है. इसमें से 4500 अरब डालर का कर्ज विदेशों से लिया गया है. ये कर्ज अमेरिकी सरकार के ऋण-पत्रों के जरिये दिये गये हैं.
अमेरिकी वित्त विभाग के अनुसार अमेरिका सरकार को सबसे अधिक कर्ज चीन ने दिया है. उसके पास 1150 अरब डालर मूल्य की अमेरिकी सरकार की प्रतिभूतियां हैं.
भारत ने अमेरिकी प्रतिभूतियों में 41 अरब डालर ‘1.83 लाख करोड़ रुपये’ का निवेश कर रखा है और इस तरह अमेरिका को कर्ज देने वाले प्रमुख देशों की सूची में भारत 14वें स्थान पर है.
अमेरिकी आंकड़ों के अनुसार पिछले एक साल में भारत ने 10 अरब डालर की अतिरिक्त अमेरिकी सरकारी प्रतिभूति खरीदी है.
रिजर्व बैंक विदेशी विनिमय भंडार के तहत अमेरिकी सरकारी प्रतिभूति डालर होल्डिंग एकाउंट रखता है. यह उसके कुल पोर्टफोलियो का करीब 10 प्रतिशत है.
जिन देशों ने बड़े पैमाने पर अमेरिकी प्रतिभूति में पैसा लगा रखा है, उनमें चीन के बाद जापान ‘912 अरब डालर’, ब्रिटेन ‘346 अरब डालर’, ब्राजील ‘211 अरब डालर’, ताइवान ‘153 अरब डालर’, हांगकांग ‘122 अरब डालर’ रूस ‘112 अरब डालर’, स्विजटरलैंड ‘108 अरब डालर’, कनाडा ‘91 अरब डालर’, जर्मनी ‘61 अरब डालर’, थाईलैंड ‘60 अरब डालर’, सिंगापुर ‘57 अरब डालर’ तथा भारत ‘41 अरब डालर’ शामिल हैं.
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