आईटी शिक्षा का दूरगामी हथियार

Last Updated 27 Dec 2011 12:15:14 AM IST

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा लांच दुनिया के सबसे सस्ते टैबलेट ‘आकाश’ का इंतजार पूरा हो गया.


यह टेबलेट भारतीय बाजार में अब महज 2500 से 3000 रुपये में किसी के लिए भी उपलब्ध है. लेकिन इसकी सफलता पर सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या इसके जरिये एजुकेशन सेक्टर में नया प्रयोग इतना आसान है? विशेषज्ञों का कहना है आकाश स्टैंर्डड टेबलेट का बिल्कुल सस्ता संस्करण है. सस्ता इसलिए कि इसमें काफी कम कन्फीगरेशन है. इसका सात इंच का स्क्रीन है और माइक्रोप्रोसेसर काफी धीमा है.

अमूमन सामान्य टेबलेट में बैटरी लाइफ आठ घंटे की होती है लेकिन यह दो-तीन घंटे ही चलेगा. इसका टचस्क्रीन भी रेजिस्टिव है. यह एंड्रयड सिस्टम का पुराना संस्करण है और सीमित क्षमता की वजह से एंड्रयड आधारित कंटेंट भी ग्रहण नहीं कर सकेगा. यह सवाल भी है कि इसके लिए एप्लीकेशन कौन विकसित करेगा क्योंकि आईआईटी और दूसरे तकनीकी संस्थानों के पास इसकी सीमित क्षमता है.

ग्रामीण इलाकों में बिजली की समस्या है. इसलिए आकाश की छोटी बैटरी अवधि इसके इस्तेमाल में बड़ी बाधा बन सकती है. खासकर इसलिए कि हर छात्र को इसके इस्तेमाल के लिए हर बेंच में सॉकेट की जरूरत पड़ेगी. साथ ही टचस्क्रीन भी दिक्कत पैदा कर सकता है. लेकिन ऐसी तमाम खामियों के बाद भी आकाश को उल्लेखनीय उपकरण माना जा सकता है. लिहाजा आगे आकाश जैसे और आविष्कारों की गुंजाइश बनी रहेगी. कुछ लोगों का कहना है कि यह उपयोगी उपकरण हो सकता है, खासकर ई-बुक रीडिंग जैसे इंटरनेट रहित एप्लीकेशन के लिए. तो क्या यह 2002 में ईजाद सिंप्यूटर की राह पर तो नहीं चल पड़ेगा.

आकाश हालांकि अपने यहां 46,000 रुपये के ऐप्पल के आईपैड का मुकाबला तो नहीं कर सकता है लेकिन डिजिटल क्रांति से महरूम लोगों, खास कर युवा पीढ़ी के लिए यह अहम साबित हो सकता है. कहा जा रहा है कि इससे देश के एजुकेशन सेक्टर में क्रांति आ जाएगी. टाटा समूह ने एक लाख रुपये में नैनो कार लांच कर कम आय वर्ग के उपभोक्ताओं के कार खरीदने के सपने को पूरा करने की दिशा में अहम भूमिका निभाई और अब आकाश से डिजिटल खाई पाटने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद की जा रही है.

आकाश लांच करने के बाद भारत दुनिया में सबसे सस्ता टेबलेट पीसी बनाने वाला देश बन गया है. वायरलेस वेब एक्सेस उत्पाद बनाने वाली कंपनी डाटाविंड ने आकाश लांच कर टेबलेट पीसी के बेहद प्रतिस्पर्धी बाजार में खलबली मचा दी है. यह टेबलेट देशभर के छात्रों को सरकार की आईटी के जरिए शिक्षा को बढ़ावा देने की योजना के तहत महज 1,200 रुपये में मिलेगा. डाटाविंड की ओर से इसे सस्ते में बनाने के पीछे राज क्या है?

दरअसल कंपनी इसके 800 कंपोनेंट को अलग-अलग जगह से मंगाकर हैदराबाद में असेंबल कर रही है. शुरुआती दौर में यह ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को दिया जाएगा जिसके बाद इसे नौवीं और उससे ऊपरी कक्षा के छात्रों को भी सुलभ कराया जाएगा. सरकार के अनुसार इसका मुख्य मकसद  कंप्यूटिंग और इंटरनेट एक्सेस के लिए प्राइस बैरियर तोड़ना है.

आलोचनाओ को परे रखकर सोचें तो इतने कम मूल्य में आकाश का कन्फीगरेशन आश्चर्यजनक रूप से अच्छा  दिखाई देता है. एक गीगाबाइट रैम, 32 जीबी हार्डडिस्क, वाईफाई सिस्टम, यूएसबी पोर्ट, ऑनस्क्रीन की-बोर्ड, वीडियो कन्फ्रेंसिंग सुविधा, मल्टी मीडिया क्षमता और इंटरनेट कनेक्टिविटी से लैस है आकाश.

इसकी हार्डडिस्क की क्षमता जरूर कम है, लेकिन यूएसबी पोर्ट के जरिये अलग से बड़ी हार्डडिस्क लगाकर इसे बढ़ाया जा सकता है. वीडियो कन्फ्रेंसिंग एक अहम फीचर है जो बच्चों को सामूहिक रूप से इंटरनेट के जरिये शिक्षा देना संभव करेगा. हालांकि यह नि:शुल्क उपलब्ध लाइनैक्स ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित है फिर भी इतने कम दाम में इतने फीचर्स समाहित करना आसान नहीं. अगर परियोजना के संचालक देश भर से उभरने वाली विशाल मांग को पूरा कर पाते हैं और यह परियोजना जमीनी स्तर पर सही ढंग से लागू की जाती है तो आने वाले वष्रो में कंप्यूटर शिक्षा और साक्षरता दोनों ही मोर्चो पर बड़ी उपलब्धि अर्जित की जा सकती है.

पिछले साल जनवरी में जब कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक सामान बनानेवाली अमेरिकी कंपनी एप्पल ने कंप्यूटर का कम्पैक रूप आइपैड पेश किया तो गैजेट र्वल्ड में धमाल मच गया. 10 इंच के टचस्क्रीन वाला पीसी, जो देखने में आइपैड की तरह है. साइज में आईफोन से बड़ा मगर कंप्यूटर के साइज से काफी छोटा. इसीलिए इसे टेबलेट कंप्यूटर कहा गया. आधा इंच पतले और 9.7 इंच के टचस्क्रीन पर वेब ब्राउजिंग, ई-बुक्स पढ़ने, गेमिंग, म्यूजिक और स्मूद मूवी देखने जैसे फीचर्स इसमें उपलब हैं. इसमें वर्चुअल की-बोर्ड की व्यवस्था है.

यानी टाइप करने के लिए टचस्क्रीन पर ही की-बोर्ड उभर आएगा. माना जा रहा है कि आनेवाले दिनों में आइपैड का कांसेप्ट हमारी आदतों को बदल सकता है. मसलन कागज के अखबार की जगह लोग इस पर ही देश-दुनिया की खबरें पढ़ा करेंगे. अनेक बड़ी कंपनियां टेबलेट कंप्यूटर के फील्ड में उतर चुकी हैं.  इस समय टैबलेट की हलचल भारत में भी महसूस की जा रही है. ज्यादा से ज्यादा भारतीय उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए कम्पनियां एक के बाद एक कम कीमत के उत्पाद ला रही हैं. भारत में इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लग सकता है कि बाजार में उतरने के नौ महीने के अंदर ही 1.58 लाख टैबलेट बिक चुके हैं.

फिलहाल आकाश  निर्माता कंपनी ‘डेटाविंड’ ने करीब 30 हजार टैबलेट ऑनलाइन बेचना शुरू कर दिये. टैबलेट की भारी मांग देखते हुए ऑनलाइन बिक्री के लिए कंपनी को उपभोक्ता सेवा से जुड़ी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है क्योंकि ‘आकाश’ अभी सीमित संख्या में ही ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है.   महत्वपूर्ण बात यह है कि दुनिया के सबसे सस्ते टेबलेट आकाश के विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत से जुड़ना चाहती हैं. उनकी भागीदारी से कम कीमत का यह टेबलेट पूरी दुनिया के बच्चों के लिए उपलब्ध हो सकेगा. वास्तव में आकाश ने अंतरराष्ट्रीय नेताओं और कंपनियों का ध्यान आकषिर्त किया है. आईबीएम और इंटेल जैसी कंपनियां बिना इसकी कीमत बढ़ाए आकाश की क्षमता बढ़ाने के लिए भारत के साथ भागीदारी करना चाहती हैं.

इतने कम दाम में इस समय बाजार में आपको इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले सस्ते फोन भी नहीं मिलेंगे, ऐसे में इसे टचस्क्रीन और टैबलेट एक्सपीरियंस के लिए बहुत बढ़िया एंट्री लेवल प्रोडक्ट माना जा सकता है. बाकी महंगे टैबलेट्स के साथ इसकी तुलना करना ठीक नहीं होगा क्योंकि इतने कम दाम ऐसा कोई टेबलेट नहीं मिलेगा. तमाम सवालों को देखते हुए भी अगर इस परियोजना को देश भर के शैक्षणिक संस्थानों और छात्रों में ठीक ढंग से लागू किया गया तो आकाश का प्रयोग देश में आईटी शिक्षा के लिए दूरगामी सिद्ध होगा.

शशांक द्विवेदी
लेखक


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