डोनाल्ड ट्रंप की अगली पारी
अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल करीब 70 दिन बाद शुरू होगा। इस बीच, दुनिया के विभिन्न देश इस बात का लेखा-जोखा ले रहे हैं कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों से उन पर क्या असर पड़ेगा।
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आम तौर पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप घरेलू नीतियों को प्राथमिकता देंगे, लेकिन दुनिया की नजर इस बात पर है कि अमेरिका की विदेश नीति में क्या बदलाव होगा। वैसे अमेरिका की घरेलू आर्थिक नीतियों का दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर बड़ा असर पड़ता है। यदि ट्रंप संरक्षणवादी आर्थिक नीतियों पर अमल करते हैं तो विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा। आर्थिक नीतियों का प्रयोग राजनीतिक और रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भी किया जाता है।
उदाहरण के लिए यदि चीन से आयात होने वाले माल पर शुल्क बढ़ाया जाता है तो यह चीन के खिलाफ एक रणनीतिक कदम माना जाएगा लेकिन आयात शुल्क में बढ़ोतरी से अमेरिका के सहयोगी यूरोपीय देशों पर भी विपरीत असर पड़ेगा।
इसी तरह अन्य देशों से अमेरिका आने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई अथवा उन्हें देश से निकालने का फैसला भी अनेक देशों के लिए चिंता का विषय है। सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में मैक्सिको तथा दक्षिणी अमेरिका के देश शामिल हैं। भारत पर भी कुछ सीमा तक इसका असर पड़ेगा।
दुनिया का सबसे अधिक ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि यूक्रेन-रूस युद्ध के बारे में ट्रंप क्या पहल करते हैं। चुनाव प्रसार के दौरान उन्होंने कहा था कि वह 24 घंटे के अंदर युद्ध समाप्त करा देंगे। ट्रंप का कार्यकाल जब शुरू होगा उस समय यूक्रेन युद्ध को करीब तीन साल पूरे हो जाएंगे। इस समयावधि में युद्ध के मोच्रे पर हालात बदल गए हैं। रूस के खिलाफ यूक्रेन की सेना लड़खड़ा रही है। अमेरिका और यूरोपीय देशों के आर्थिक और सैन्य समर्थन-सहयोग के बावजूद समीकरण रूस के पक्ष में हैं। यदि वहां युद्ध-विराम होता है तो यूक्रेन का करीब एक तिहाई हिस्सा रूस के अधिकार में होगा। इसे अमेरिका और पश्चिमी देशों की रणनीतिक पराजय के रूप में देखा जाएगा।
चुनाव परिणाम आने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ट्रंप से टेलीफोन पर बातचीत की। उस समय ट्रंप के साथ उद्यमी एलन मस्क भी मौजूद थे। ट्रंप ने बातचीत के लिए टेलीफोन मस्क को सौंप दिया। अमेरिकी विशेषज्ञ इसे इस बात का संकेत मान रहे हैं कि नये ट्रंप प्रशासन में मस्क की प्रमुख भूमिका होगी। कुछ समीक्षक तो यह भी ऐलान कर रहे हैं कि मस्क अमेरिका के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में उभर सकते हैं। सरकार के काम-काज ही नहीं, बल्कि विदेश नीति में भी उनका निर्णायक दखल होगा।
बातचीत के दौरान मस्क ने कथित रूप से जेलेंस्की को भरोसा दिलाया कि वह अपनी उपग्रह संचार पण्राली स्टारलिंक की सेवाएं यूक्रेन को देना जारी रखेंगे। यूक्रेन की सेना अपनी कार्रवाइयों में स्टारलिंक का इस्तेमाल कर रही है। जेलेंस्की की ओर से दावा किया गया कि ट्रंप ने उन्हें अमेरिका का समर्थन जारी रखने का आासन दिया है। मस्क पिछले काफी दिनों से रूस के राष्ट्रपति पुतिन से संपर्क बनाए हुए हैं। संभव है कि यूक्रेन और रूस युद्ध विराम और उसके बाद शांति वार्ता शुरू करने में सहमत हो जाएं।
ट्रंप प्रशासन में भारतीय मूल अथवा भारत समर्थक लोगों को शामिल किए जाने पर कयास लगाए जा रहे हैं। सबसे अधिक चर्चा इस बात की है कि खुफिया एजेंसी सीआईए अथवा संघीय जांच एजेंसी एफबीआई की कमान प्रमोद कश्यप पटेल (काश पटेल) को सौंपी जा सकती है। काश पटेल को ट्रंप का विस्त माना जा रहा है तथा वह ट्रंप विरोधियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाए जाने के हिमायती हैं। इसके अलावा, विवेक रामास्वामी और तुलसी गबार्ड को भी नये प्रशासन में महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती हैं। हालांकि अमेरिका का सत्ता प्रतिष्ठान इस बात की पूरी कोशिश करेगा कि ट्रंप प्रशासन में ऐसे लोगों की घुसपैठ कराई जाए जो अमेरिका की पुरानी नीतियों को जारी रखने की कोशिश करेंग। ट्रंप के लिए आगे की डगर आसान नहीं है।
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