गरिमापूर्ण हो लहजा

Last Updated 22 Jul 2024 12:48:35 PM IST

लोकसभा और राज्य सभा में आगामी मानसून सत्र में कोई भी सदस्य नारेबाजी नहीं करेगा। न ही पोस्टर या तख्ती लेकर आ सकेगा। सदस्यों को वंदेमातरम, जयहिंद या जयश्रीराम जैसे नारे सदन के भीतर नहीं लगाने को भी कहा गया है।


गरिमापूर्ण हो लहजा

लोक सभा के पिछले सत्र में लोक सभा अध्यक्ष के निर्देश में संशोधन करते हुए नारेबाजी पर रोक लगा दी थी। संसद का मानसून सत्र 22 जुलाई को शुरू हो कर 12 अगस्त को संपन्न होगा। 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण अपना सातवां और इस सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी। इस बीच, सदस्यों को नियमों की याद दिलाने के लिए फिर से नियमावली पुस्तिका जारी की गई है।

नियमावली संबंधी बुलेटिन में कहा गया है कि आक्षेप, आपत्तिजनक और  असंसदीय अभिव्यक्ति वाले शब्दों का प्रयोग करने से भी बचा जाना चाहिए। ध्यान दिलाया गया है कि संसद सदस्यों को यह याद रखना चाहिए कि वे जनादेश के कारण उस सम्मानित सदन तक पहुंचे हैं। उन्हें अपनी भाषा, तहजीब और बर्तावको सलीके से पेश करना चाहिए। वे विरोध कर रहे हों या किसी विरोधी दल के सदस्य पर टिप्पणी कर रहे हों, तो भी मर्यादा में रह कर ही अपनी बात कहना सीखना चाहिए।

संसद सदस्यों को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि जनसभाओं या दल के कार्यकर्ताओं को संबोधित करना और सभापति के समक्ष अपनी बात रखने में खासा फर्क होता है। यह कोई कक्षा नहीं है, जहां चुने गये प्रतिनिधियों को सलीका सिखाया जाए या अनुशासन के पाठ पढ़ाए जाएं। कड़ी मेहनत के उपरान्त देश भर से जनता द्वारा चुने सम्मानित सदस्यों को यहां पहुंचने का मौका बमुश्किल प्राप्त होता है।

छीना-झपटी, चिल्लाना या असंसदीय भाषा के प्रयोग से बचने का ख्याल रखना उन्हें स्वयं सीखना होगा। आचरण और भाषा को व्यवस्थित और गरिमापूर्ण रखते हुए अपनी बात रखने का अनुरोध करने का सदन सबको मौका देता है। वहीं हुड़दंग करने से न केवल जनता में, बल्कि दुनिया भर के मीडिया में भी मखौल बनता है। जिन सम्मानित सदस्यों को नये कानून बनाने या उन्हें संशोधित करने का हक इख्तियार है, उनसे उम्मीद की जाती है कि उनके लिए ऐसे सख्त नियमों या लहजे की जरूरत ही न पड़े। 

कहा गया है कि सांसदों को अपनी गरिमामय उपस्थिति को लेकर स्वयं ही सतर्क रहना चाहिए। ऐसा करेंगे तो आइंदा इस तरह के नियमों की जरूरत ही नहीं रह जाएगी। लोक-कल्याण और सुशासन की जिम्मेदारी सबकी साझी है।



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