अस्पताल भी सुरक्षित नहीं
Delhi GTB Hospital Firing: देश की राजधानी के शाहदरा इलाके के नामी सरकारी अस्पताल गुरु तेग बहादुर (जीबीटी) में एक मरीज की गोलियां बरसाकर हत्या वाकई स्तब्ध करती है।
अस्पताल भी सुरक्षित नहीं |
मृतक खजूसी खास की श्रीराम कॉलोनी में रहने वाला 32 साल का रियाजुद्दीन है, जो अस्पताल में पेट के संक्रमण के इलाज के लिए भर्ती था। पुलिस के अनुसार हत्यारा एक अन्य मरीज वासिम को मारने आया था। जिस पर सत्रह मामले दर्ज हैं। उसे और उसके साथी आसिफ को 12 जून को शांति चौक पर गोली मारी गई थी, जिसके इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। उसकी पत्नी ने अपने पति की जान को खतरा बताते हुए प्राइवेट रूम में शिफ्ट करने को कहा था।
रियाजुद्दीन गलत पहचान के चलते मारा गया प्रतीत हो रहा है। बहरहाल, यह सारी घटना बिल्कुल फिल्मी प्लॉट की तरह लग रही है। हत्याकांड में 3-4 लोगों के शामिल होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। हैरत है, यह सब दिल्ली के व्यस्त इलाकों में हो रहा है। दिल्ली सरकार लगातार कानून-व्यवस्था को बदतर कह रही है।
अपराधियों के बुलंद होते हौसले देखकर दिल्ली पुलिस की लापरवाही तो साफ ही है। साथ ही अस्पताल के प्रशासन-व्यवस्था के काम पर संदेह होता है। हालांकि वार्ड में काफी लोगों की मौजूदगी के बावजूद कोई घायल नहीं है। यह कहना गलत नहीं होगा कि स्थिति भयावह भी हो सकती थी।
डॉक्टर तो हड़ताल पर चले गए पर मरीजों के इख्तियार में तो कुछ भी नहीं होता। जिस मासूम की जान गई है, उसके प्रति कौन जिम्मेदार होगा। हत्यारा पुलिस की गिरफ्त में आ गया या उसे सजा हो गई तो भी मृतक के परिवार को न्याय कैसे दिया जा सकेगा।
हत्यारा व मृतक समान समुदाय के न होते तो अपने-अपने लाभ के लोभ में विभिन्न राजनीतिक दलों में हलचल शुरू हो चुकी होती। सरकारी आंकड़े कहते हैं देश में प्रतिदिन 75 से अधिक हत्याएं होती हैं।
बात सिर्फ इस गफलत में हुई सरेआम हत्या की नहीं है, हमें कानूनविदों, मनोविश्लेषकों, समाजशास्त्रियों व विशेषज्ञों के साथ हत्याओं के इस फैलते संक्रमण पर गंभीर विमर्श करना होगा। सुरक्षा हर नागरिक का अधिकार है, जिससे सरकार मुंह नहीं चुरा सकती। चिंता की बात यह भी है कि डॉक्टर्स इसके बाद हड़ताल पर जाने की बात कह रहे हैं, जिससे होने वाली परेशानी का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। सरकार को इस मसले पर ध्यान देना चाहिए।
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