दोहराइए आरक्षण रहेगा

Last Updated 30 Apr 2024 01:41:38 PM IST

आरक्षण एक बार फिर चुनाव मैदान में है। अंतर केवल इतना है कि अबकी इसे लालू प्रसाद ने नहीं, कांग्रेस ने लाया है। इसके नेता राहुल गांधी अपनी चुनावी सभाओं में भाजपा और उसके नेता नरेन्द्र मोदी को आरक्षण मिटाने वाला गैंग कह रहे हैं।


दोहराइए आरक्षण रहेगा

इससे भाजपा आत्मरक्षात्मक मुद्रा में आ गई है। उसे 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में मिली चोट ताजा हो गई है। तब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने चुनाव-बीच आरक्षण की समीक्षा की बात कर चौंका दिया था। यद्यपि संविधान में इसका जिक्र है कि 15 साल बाद इसकी समीक्षा की जाएगी और उस आधार पर हटाया भी जा सकता है, लेकिन संसद सर्वसम्मत से इसे आगे बढ़ाती रही है।

यह मान लिया गया है कि भारतीय समाज इस उन्नत दशा में नहीं पहुंचा है कि आरक्षण की समीक्षा की जाए। इसे ध्यान में रखकर ही भागवत के बयान पर सफाई दी गई और दिलाई भी गई। पर राजद नेता लालू प्रसाद ने बड़ी कुशलता से मतदाताओं का रुख बदल दिया था।

भाजपा बिहार में कमांडर होते-होते रह गई थी। इस बार भी कांग्रेस के प्रचार से ऐसे परिणाम के आसार नजर आ रहे हैं। जब 2024 के चुनाव में, नरेन्द्र मोदी की भाजपा ने ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा दिया तो विपक्ष ने, इतनी सीटों को संविधान बदलने, लोकतंत्र नष्ट करने के उसकी ‘हवस’ से जोड़ दिया।

इसमें भाजपा के कुछेक अदूरदर्शी नेताओं के बयान-भाषणों ने भी कांग्रेस का साथ दिया। आरक्षण पर आरएसएस का शुरू से ही एक रिजर्वेशन रहा है। इसलिए जब भी ऐसी चर्चा होती है, संघ के स्थापना काल का नजरिया सामने आ जाता है। भागवत इससे इनकार करते हैं। यह सच है कि मोदी का मौजूदा मंत्रिमंडल आरक्षण के व्यवहारत: निर्वाह का सुंदर प्रमाण है।

यह स्वतंत्र भारत का ऐसा पहला मंत्रिमंडल है। खुद मोदी ओबीसी हैं। फिर भारतीय राजनीतिक चेतना के मौजूदा स्तर को देखते हुए संविधान, चुनाव या लोकतंत्र तथा आरक्षण को खारिज करने की किसी दल की हिमाकत, उसकी सियासी खुदकुशी होगी। इसके लिए कौन दल तैयार होगा? आरक्षण, संविधान और लोकतंत्र सब रहेगा।

यह बिल्कुल प्रचार के लिए प्रचार की बात है। इसमें वह कांग्रेस अपरहैंड है। भाजपा सफाई तो दे रही है पर इसका प्रतिकारी विमर्श कम बना रही है। कांग्रेस के मैनिफेस्टो, उसके विज्ञापन एवं उसके नेताओं के मुद्दे भाजपा के लिए एक छटपटाहट पैदा करते हैं। एक दशक धुआंधार कार्यक्रम चलाने वाली सत्ताधारी पार्टी के पास विपक्ष को घेरने के मुद्दे में टटकापन नहीं है।



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