चीन से कराची जा रहे जहाज से परमाणु खेप की जब्ती
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा 23 जनवरी को रोके गए व्यापारिक जहाज ‘सीएमए सीजीएम अत्तिला’ से बरामद सामग्री के पाकिस्तान में परमाणु परियोजना विशेष रूप से मिसाइल बनाने के महत्त्वपूर्ण घटकों के निर्माण में संभावित उपयोग की पुष्टि हुई है।
परमाणु खेप की जब्ती |
माल्टा का ध्वज लगा जहाज रोके जाने के समय चीन से कराची जा रहा था और इस पर 22,180 किग्रा. सामग्री लदी थी। डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान) की एक टीम ने इस बाबत पुष्टि की है। पहली दफा नहीं है, जब चीन की ऐसी हरकत सामने आई हो।
इससे पहले भी चीन से पाकिस्तान ले जाई जा रही दोहरे उपयोग वाली सैन्य वस्तुएं जब्त की जा चुकी हैं। चीन की इस प्रकार की अवैध गतिविधियों से भारत की सुरक्षांिचंता बढ़ गई है। आशंका है कि पाकिस्तान यूरोप और अमेरिका से प्रतिबंधित वस्तुएं हासिल करने के लिए माध्यम के रूप में चीन का इस्तेमाल कर सकता है, ताकि अपनी पहचान छुपा सके। 2020 में भी ऐेसा ही एक मामला सामने आ चुका है जब मिसाइल उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण एक औद्योगिक आटोक्लेव पाकिस्तान जा रहे चीन के जहाज में औद्योगिक उपकरण के रूप में छुपाया गया था।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पता लगा रही हैं कि क्या इन दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं को प्राप्त करने वाली संदिग्ध पाकिस्तानी संस्थाएं इन्हें रक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठन को आपूर्ति तो नहीं कर रही हैं, जो पाकिस्तान के अधिकांश रक्षा अनुसंधान एवं विकास के लिए जिम्मेदार है।
शनिवार को अधिकारियों ने जानकारी दी कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने खुफिया जानकारी के आधार पर मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह पर 23 जनवरी को जहाज को रोका था जिसकी जांच में पता चला कि खेप में इटली में निर्मित एक कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (सीएनसी) मशीन थी। कंप्यूटर नियंत्रित यह मशीन सटीकता, दक्षता और स्थिरता का ऐसा पैमाना तैयार करती है, जो मानव द्वारा संभव नहीं होता।
यह मशीन ‘वासेनार समझौते’ के तहत आती है, जिस पर 42 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। वासेनार अंतरराष्ट्रीय हथियार नियंत्रण व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य नागरिक और सैन्य, दोनों उपयोगों वाले उपकरणों के प्रसार-प्रयोग को रोकना है। भारत भी इस समझौते का हस्ताक्षरकर्ता देश है। सीएनसी वही मशीन है जिसका इस्तेमाल उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम में कर चुका है।
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