पुरस्कारों की गरिमा है जरूरी
सतरहवें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2022 के नियम में विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत दिए जाने वाले पुरस्कारों को तार्किक बनाने के लिए बदलाव किए गए हैं।
पुरस्कारों की गरिमा है जरूरी |
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित समिति के सुझाए बदलावों के तहत यह निर्णय लिया गया। सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार और राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए नरगिस दत्त पुरस्कार का नाम बदला गया है यानी अब पूर्व प्रधानमंत्री और दिग्गज अभिनेत्री के नाम को बदलावों के तहत हटा लिया गया है।
दादा साहेब फालके पुरस्कार सहित नगद पुरस्कारों की राशि में बढ़ोतरी और कई अन्य पुरस्कारों को शामिल किया जा रहा है। निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार का नाम अब निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म कर दिया गया है। इसमें मिलने वाली जो राशि पहले निर्माता/निर्देशक में बांटी जाती थी वह अब केवल निर्देशक को दी जाएगी। राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए नरगिस दत्त पुरस्कार अब राष्ट्रीय, सामाजिक और पर्यावरणीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाली सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म कहा जाएगा।
बेशक, सरकार पर आरोप लगाया जा सकता है कि उसकी मंशा कांग्रेस द्वारा किए गए राजनीतिक नामकरणों में छेड़छाड़ करने की अधिक है। हालांकि पक्षपाती हुए बगैर सोचा जाए तो फिल्मों को दिए जाने वाले किसी भी पुरस्कार में राजनीतिक हस्ती का नाम शामिल किया जाना अतार्किक प्रतीत होता है। इंदिरा गांधी के नाम पर कोई भी राजनीतिक पुरस्कार देने की योजना बनाने पर विचार किया जा सकता है जो सांसदों या राजनीतिज्ञों को सम्मानित करने के लिए प्रयोग हो।
हालांकि नरगिस दत्त अपने जमाने की बेहतरीन अदाकार रहीं। मगर वे खुद और उनके पति दिग्गज कलाकार सुनील दत्त भी कांग्रेस में शामिल रहे। नरगिस दत्त के नाम पर फिल्मों को पुरस्कृत करना तर्कसंगत कहा जा सकता है। संभव है कि इंदिरा गांधी का नाम हटाने से होने वाले विवाद से बचने के चलते ही नरगिस दत्त का भी नाम हटाया गया हो।
दरअसल, पुरस्कारों का शीषर्क बेहद स्पष्ट और पारदर्शी रखने का प्रयास होना चाहिए। सत्ताधारी दलों को रचनात्मक क्षेत्रों में राजनीति या राजनीतिक शख्सियतों के नाम का प्रयोग जबरन करने से स्वयं बचना सीखना चाहिए।
किसी भी पुरस्कार की गरिमा तभी तक रहती है, जब तक उसे पूर्ण निष्पक्षता, पारदर्शितापूर्वक और ईमानदारी से चयनित किया जाता है। न कि उसका शीर्षक या नाम क्या है, यह मायने रखता है।
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