एसवीबी का संकट
बेशक, अभी किसी बड़े वैश्विक वित्तीय संकट का अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी, फिर भी अमरीका में सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) के बैठ जाने के बाद, 2008 के जैसे विश्व वित्त संकट की वापसी के चच्रे तो जरूर शुरू हो चुके हैं।
एसवीबी का संकट |
इस दौरान आ रहीं एक और अमरीकी बैंक के इसी बीच लुढ़कने की खबरें अगर सच हैं, दुनिया भर में आर्थिक प्रशासकों को यह मानने पर मजबूर होना पड़ेगा कि इसे एक खास बैंक तक सीमित संकट नहीं मान सकते हैं और इसके संक्रामक होने की वाकई संभावनाएं हैं। इन आशंकाओं के सच होने की संभावना इसलिए और ज्यादा है कि यह सभी मान रहे हैं कि एसवीबी बैंक के बैठने के पीछे उसकी अपनी कोई कमजोरी नहीं है। उसके बैठने के लिए सबसे बढ़कर, अमरीकी फैडरल रिजर्व द्वारा ब्याज की दरों का तेजी से बढ़ाया जाना जिम्मेदार है।
इसी ने सबसे बढ़कर स्टार्टअपों को वित्त मुहैया कराने वाले इस बैंक का सारा हिसाब-किताब बिगाड़ दिया और उसके दीवाले की नौबत आ गयी। चूंकि ये कारक इस एक बैंक तक सीमित नहीं हैं बल्कि समूचे वित्तीय क्षेत्र पर उनका असर पड़ रहा है, इसलिए सभी वैश्विक वित्तीय खिलाड़ी, कोई कम और कोई ज्यादा, इसकी चपेट में आने जा रहे हैं। दूसरी ओर, अमरीकी वित्त सचिव का एलान है कि बाइडेन प्रशासन, 2008 के विपरीत, इस बार वित्तीय संस्थाओं को बचाने के लिए नहीं उतरेगा।
उल्टे जानकारों के अनुसार, अमरीकी फैडरल रिजर्व, ब्याज दरों में आधे फीसद की और बढ़ोतरी करने की तैयारी कर रहा है, जो इस संकट की बाढ़ को और विध्वंसक बनाकर और वित्तीय खिलाड़ियों को डुबो सकता है। लेकिन, चूंकि अमरीका में ब्याज की दरों का पहले के लगभग शून्य के स्तर से तेजी से बढ़ाया जाना, विश्व मंदी के गहराते संकट के असर से अमरीका को बचाने के बाइडेन प्रशासन के कदमों के केंद्र में है, फिलहाल यह संकट थमता नजर नहीं आ रहा है।
जहां तक भारत का सवाल है, 2008 के संकट के अनुभव के आधार पर, आर्थिक प्रशासकों का इसका भरोसा करना निराधार नहीं है कि इस संकट का असर, भारत तक बहुत ज्यादा नहीं आएगा। हां! एसवीबी से सीधे लेन-देन रखने वाले भारतीय स्टार्टअपों और उसमें अपनी विदेशी कमाई जमा करने वाली भारतीय आइटी कंपनियों पर जरूर, इसकी मार पड़ी है। फिर भी, अगर विश्व वित्तीय क्षेत्र में यह संकट छूत की बीमारी की तरह फैलता है, तो दुनियाभर से वित्तीय पूंजी का अपने घर यानी अमरीका की ओर पलायन शुरू हो जाएगा और यह भारत को भी संकट की जद में घसीट सकता है।
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