मिलता रहेगा राशन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शनिवार को मंत्रिमंडल की पहली बैठक में कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू की गई मुफ्त राशन योजना को तीन महीने और बढ़ाने का फैसला किया गया।
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योजना अब जून माह तक जारी रहेगी। उत्तर प्रदेश में इस योजना के तहत 15 करोड़ लोगों को दाल, नमक, चीनी के साथ खाद्यान्न मिलता है। इसी प्रकार केंद्र सरकार ने भी मुफ्त खाद्यान्न वितरण कार्यक्रम-प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम जीकेएआई) को सितम्बर तक बढ़ाने का फैसला किया है। इस योजना के तहत जरूरतमंदों को प्रति माह प्रति व्यक्ति पांच किलो खाद्यान्न मुफ्त मिलता है, और 80 करोड़ लोग इससे लाभान्वित होते हैं।
पीएम जीकेएआई की बाबत फैसला शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया। दरअसल, दोनों कल्याणकारी योजनाएं कोरोना महामारी से जूझ रहे नागरिकों को राहत पहुंचाने के लिए आरंभ की गई थीं। महामारी से आर्थिक गतिविधियां शिथिल पड़ गई थीं और नौकरियां छूटने या छंटनी होने से लोगों के सामने रोजी-रोटी का विकट संकट पैदा हो गया। दिहाड़ी कामगारों पर तो बुरी गुजर रहरी थी। महामारी ने उनकी क्रय शक्ति ध्वस्त कर डाली थी। केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर लोगों को संकट के दौरान संबल देने की गरज से तमाम राहत पैकेज और योजनाएं शुरू कीं। हाल में संपन्न पांच राज्यों में से चार में भाजपा को शानदार जीत मिली।
यूपी में तो माना जा रहा है कि मुफ्त राशन योजना ने ऐसा नव लाभार्थी वर्ग तैयार किया जिसने भाजपा की जीत सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभाई। इस लाभार्थी वर्ग ने जाति, धर्म से हटकर योगी सरकार की जनकल्याणकारी योजना के मद्देनजर उसकी सत्ता में पुन: वापसी पर मोहर लगा दी। बेशक, महंगाई से आमजन सरकार से नाराज था, और लग रहा था कि मतदान करते समय अपनी नाराजगी जाहिर करके सत्तारूढ़ पार्टी की दिक्कत बढ़ा सकता है। लेकिन मुफ्त राशन योजना ने मतदाता की नाराजगी को कम करने का काम किया। कुछ लोग कह रहे थे कि मुफ्त राशन की योजना चुनाव होने तक ही हैं, उसके बाद नहीं रहेंगी।
लेकिन चुनाव नतीजों के उपरांत इन योजनाओं की अवधि बढ़ाया जाना केंद्र में आसीन मोदी सरकार और यूपी में सत्तारूढ़ योगी सरकार की आमजन की तकलीफों के प्रति संवेदनशीलता का परिचायक है। हालांकि कुछ लोग इन योजनाओं को शुरू से ही राजनीतिक करार दे रहे थे, मुफ्तखोरी की आदत डालने वाली बता रहे थे, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आमजन ने इन योजनाओं में त्राण पाया है।
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