उत्तर कोरिया को रोको
रूस यूक्रेन युद्ध में अमेरिका और नाटो के यूक्रेन का साथ देने से पीछे हट जाने से पूरे विश्व में शक्ति संतुलन बदलता दिख रहा है।
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चीन जहां खुलकर रूस का साथ दे रहा है वहीं अमेरिका और नाटो यूक्रेन छोड़कर अन्य देशों में मोर्चाबंदी कर रहे हैं। इसे विश्व राजनय में दोनों के कमजोर पड़ने के रूप में देखा गया। मौके का फायदा उठाते हुए उत्तर कोरिया ने बृहस्पतिवार को लंबी दूरी की मिसाइलों के परीक्षण पर 2017 खुद से लगाई रोक खत्म करते हुए अब तक के सबसे बड़े अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल का परीक्षण कर डाला।
परीक्षण प्योंगयांग के पास सुनान क्षेत्र से किया गया जिसने 6,200 किलोमीटर की ऊंचाई पर 1,080 किमी. की दूरी तय की। परीक्षण से उसके पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया और जापान तो चिंतित हैं ही, मिसाइल की मारक क्षमता ने अमेरिकी रक्षा प्रतिष्ठानों में भी खलबली मचा दी है। परीक्षण के बाद विशेषज्ञों का आकलन है कि अब उ. कोरिया ऐसे परमाणु हथियारों को विकसित करने में सफल हो जाएगा जो अमेरिका में कहीं भी मार कर सकते हैं। उ. कोरिया की यह हरकत अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के लिए एक और सिरदर्द साबित हो सकती है। इसके साथ ही जापान और दक्षिण कोरिया की सरकारों के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती है।
इसने इलाके की सुरक्षा स्थिति में अस्थिरता का खतरा और तनाव पैदा कर दिया है। यह संयुक्त राष्ट्र के अनेक प्रावधानों का भी खुला उल्लंघन है। बृहस्पतिवार का परीक्षण इस साल उ. कोरिया का कम से कम 11वां परीक्षण है। इसी महीने की शुरु आत में उ. कोरियाई नेता किम जोंग उन ने कहा था कि उनका देश बहुत जल्द कई उपग्रह छोड़ेगा जिससे कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
उ. कोरिया चाहता है कि विरोधी देश उसे परमाणु शक्ति से लैस राष्ट्र के रूप में स्वीकार करते हुए उस पर लगे भारी प्रतिबंधों को हटा लें। इस परीक्षण के बाद क्षेत्र में मिसाइल परीक्षणों की होड़ फिर से शुरू हो सकती है, और क्षेत्र के सुरक्षा हालात अस्थिर हो सकते हैं। अगर यूक्रेन युद्ध में नाटो और अमेरिका मदद करने की बजाय रूस को वॉकओवर देते रहे तो चीन और उ. कोरिया जैसे देशों का दुस्साहस बढ़ सकता है, जो किसी भी स्थिति में चिंता का सबब बनेगा।
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