राजस्थान प्रदेश में उल्कापिण्ड गिरने की पुष्टि
भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की जयपुर इकाई ने तकनीकी अध्ययन के उपरांत गत छह जून को जयपुर में भांकरोटा के पास मुकुन्दपुरा गांव में उल्का पिण्ड गिरने की पुष्टी की है. राजस्थान में उल्का पिण्ड गिरने की यह 14वीं घटना है.
(फाइल फोटो) |
आधिकारिक सूत्रो के अनुसार उल्का पिण्ड के रासायनिक अध्ययन में इस बात का पता चला है कि इसके क्रस्ट और भीतरी भाग में कई रसायनों का मिस्रण था. प्रारम्भिक तौर पर इस उल्का पिण्ड को कार्बनेशियस कौनड्राइट पत्थर से मिलता-जुलता माना जा रहा है. अधिक गहन अध्ययन के लिए इस उल्का पिण्ड के नमूने को भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, एनसीईजीआर के मीटीयोराइट एण्ड प्लानेट्री साइंस डिविजन को भेजा गया है.
उल्लेखनीय है कि दो किलोग्राम वजन का यह उल्का पिण्ड गत छह जून को दोपहर 3.15 बजे एक रेतीले खेत में गिरा था. सुर्ख लाल-पीले रंग का यह उल्का पिण्ड गर्जन करता हुआ खेत मालिक के घर से 100 मीटर की दूरी पर गिरा था. इसके गिरने से वहां 43 सेंटीमीटर की गोलाई में 15 सेंटीमीटर गहरा खड्डा हो गया था.
भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ने उल्का पिण्ड के पदार्थ की प्रकृति का पता लगाने के लिए मेगास्कोपिक और पेट्रोग्राफिक अध्ययन किया गया. अध्ययन से पता चला कि काफी ऊंचाई से गिरने के कारण इस उल्का पिण्ड के अलग अलग आकार के टुकड़े हो गए थे जिनका कुल वजन दो किलो 23 ग्राम था. उल्फा पिण्ड का रंग गहरा काला था और इसमें सल्फर की गंध थी. फ्यूजन क्रस्ट की मोटाई 1.5 से 2 एम एम नापी गई.
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