काटरेसैट-2 और 30 अन्य नैनो उपग्रहों के साथ पीएसएलवी-सी38 प्रक्षेपित
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी-सी38 रॉकेट ने आज सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से पृथ्वी सर्वेक्षण उपग्रह काटरेसैट-2 और 30 अन्य नैनो उपग्रहों के साथ उड़ान भरी.
पीएसएलवी-सी38 प्रक्षेपित (फाइल फोटो) |
इसरो ने बताया कि 28 घंटे की उलटी गिनती की प्रक्रिया पूरी करने के बाद इस प्रक्षेपण यान ने सुबह नौ बजकर 29 मिनट पर उड़ान भरी.
काटरेसैट-2 उपग्रह सीमा पर होने वाली प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखेगा और इससे भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा होगा .
प्रक्षेपित किये गए 712 किलोग्राम वजनी काटरेसैट-2 सीरीज के इस उपग्रह के साथ करीब 243 किलोग्राम वजनी 30 अन्य सह उपग्रहों को भी एक साथ प्रक्षेपित किया गया. पीएसएलवी-सी38 के साथ भेजे गए इन सभी उपग्रहों का कुल वजन करीब 955 किलोग्राम है.
इन उपग्रहों में ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, बेल्जियम, चिली, चेक गणराज्य, फ्रांस, जर्मनी, स्लोवाकिया, ब्रिटेन और अमेरिका तथा 13 अन्य देशों के कुल 29 नैनो उपग्रह हैं. इसके अलावा एक भारतीय नैनो उपग्रह भी शामिल है.
इसरो के मुताबिक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) की यह 40वीं उड़ान है.
कार्टोसैट-2 श्रृंखला के तीसरे उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ ही भारत की अंतरिक्षीय नजर और अधिक पैनी और व्यापक होने जा रही है.
इसरो के सूत्रों ने कहा कि इस श्रृंखला के पिछले उपग्रह की विभेदनक्षमता 0.8 मीटर की थी और इससे ली गई तस्वीरों ने पिछले साल नियंत्रण रेखा के पार सात आतंकी ठिकानों पर सजर्किल हमले करने में भारत की मदद की थी.
हालिया रिमोट सेंसिंग उपग्रह की विभेदन क्षमता 0.6 मीटर की है. इसका अर्थ यह है कि यह पहले से भी छोटी चीजों की तस्वीरें ले सकता है.
यह पीएसएलवी की 40 वीं उड़ान है. कार्टोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह का वजन 712 किलोग्राम है. कार्टोसैट-2 रिमोट सेंसिंग उपग्रह है.
इसरो के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के 29 नैनो उपग्रह इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के बीच के व्यवसायिक समझौतों के आधार पर प्रक्षेपित किए गए हैं.
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