UP By-Election Results 2024: चला योगी का जादू, दिखी 27 के चुनाव की झलक
उत्तरप्रदेश के उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जादू सिर चढ़कर बोला। NDA की सहयोगी RLD समेत BJP ने 7 सीटें जीती। उपचुनाव के इन नतीजों में 2027 के चुनाव की भी झलक दिख गयी है।
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इसकी बानगी मुस्लिम बहुल कुंदरकी विस सीट के उपचुनाव में भाजपा की जीत से देखी जा सकती है। उपचुनाव भले ही नौ सीटों पर हुआ हो, लेकिन नतीजों की झंकार आगे भी देखी जा सकेगी और इस बार ‘बंटेगे तो कटेंगे’, ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा लोगों की जुबान पर चढ़ा। उपचुनाव में भाजपा की फतह के बाद यूपी में सीएम योगी का कद सबसे बड़ा हो गया है। जीत के बाद सीएम का स्वागत नायक की तरह किया गया। भाजपा के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक सीएम के स्वागत में खड़े नजर आये।
उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत की पटकथा चुनाव घोषित होने के पहले से लिख दी गयी थी। इस बार सरकार व संगठन के बीच का तालमेल बेमिसाल रहा। योगी ने चुनाव में जीत के लिए अपनी सरकार के 30 मंत्रियों की टीम बनाकर आगे बढ़े। हर क्षेत्र की कमान बड़े मंत्रियों को सौंपी गयी। जातीय संतुलन को साधने के लिए 10-10 विधायकों को हर क्षेत्र में अपनी बिरादरी में पैठ बनाने को लगाया गया।
इसके साथ ही प्रत्याशियों के चयन में सरकार व संगठन ने मिलकर केन्द्रीय नेतृत्व को नाम भेजे। परिवारवाद से बचने के लिए पार्टी ने सीट रिक्त करने वाले किसी भी नेता के परिजन को टिकट नहीं दिया। मुख्यमंत्री ने पहले हर सीट पर विकास को लेकर जनता से संवाद किया। दूसरे चरण में राजनीतिक रैलियों के जरिये विपक्ष को घेरा। संगठन से मिली रिपोर्ट को उपचुनाव में पूरी तरह लागू किया गया। हर विधानसभा सीट की समीक्षा और निगरानी खुद सीएम योगी ने की।
लोकसभा चुनाव से इतर नतीजों को पार्टी के पक्ष में लाने के लिए योगी ओैर प्रदेश अध्यक्ष चौधरी ने सपा व कांग्रेस को टारगेट किया। बसपा से झटक रहे एससी-एसटी मतदाताओं को भाजपा में लाने के लिए भी अलग रणनीति बनाकर संगठन के साथ कदमताल किया। आरएसएस के कार्यकर्ता भी नौ सीटों के चुनाव को सेमीफाइनल मानकर बूथों पर काम कर रहे थे।
भाजपा नेताओं का कहना है कि बेशक कुदरकी की जीत अहम है लेकिन सीसामऊ और करहल के नतीजों का सपा के पक्ष में जाना पार्टी के क्लीन स्वीप के लक्ष्य के लिए एक टीस जरूर रह गयी है।
पार्टी की इस रोमांचक जीत का कोई हकदार है तो सिर्फ सीएम योगी का टीमवर्क। सभी को साधकर सीएम ने ऐसी फील्डिंग सजायी कि विपक्ष को दो सीटों पर समेट दिया। वैसे राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उपचुनाव के नतीजों को आम चुनाव के परिणामों सरीखा देखना जल्दबाजी होगी। जनता की याददाश्त कमजोर होती है, और तब के मुद्दे भी अलग हो सकते हैं। ऐसे में इन नतीजों को सेमीफाइनल मानना कतई उचित नहीं है। हां यह जरूर कह सकते हैं कि भाजपा ने बेहतर चुनाव लड़ा और रोचक जीत दर्ज की है।
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