आगरा : 'मॉक ड्रिल' हादसे में 22 मरीजों की मौत, CM योगी ने दिये जांच के आदेश
आगरा के एक निजी अस्पताल ने कथित' मॉक ड्रिल' के दौरान वीडियो जारी करके दावा किया था कि ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद कर देने की वजह से 22 मरीजों की मौत हो गई। इस वायरल वीडियो पर गंभीर रूख अपनाते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिये हैं।
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उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि ये निजी अस्पताल पहले भी विवादों में रहा है। उन्होंने कहा, "अगर आरोपों में कोई सच्चाई पाई जाती है तो अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
यह पूछे जाने पर कि क्या इस तरह की मॉकड्रिल चिकित्सा प्रणाली का हिस्सा है, मंत्री ने कहा कि इस तरह का अभ्यास केवल अग्निशमन प्रणाली की जांच के लिए किया गया था, न कि मरीजों की देखभाल में।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी इस घटना के बारे में ट्वीट कर चुकी हैं।
उत्तर प्रदेश के आगरा में पारस अस्पताल के संचालक डा अरिंजय जैन के वायरल वीडियो में डा जैन की आक्सीजन की कमी का हवाला देते हुये कह रहे हैं कि मॉकड्रिल के जरिये यह पता करते है कि पांच मिनट के लिये आक्सीजन आपूर्ति बाधित करने से कितने मरीजों की जान पर संकट आ सकता है।
डा जैन ने वायरल वीडियो को साजिश बताते हुये कहा कि माक ड्रिल से उनकी मंशा अस्पताल में भर्ती मरीजों का आक्सीजन स्तर मापना था कि किस मरीज को कितनी मात्रा में आक्सीजन की जरूरत हो सकती है क्याेंकि उस अवधि में आक्सीजन का संकट था।
वीडियो में डा जैन कह रहे है “ 25-26 अप्रैल को जब कोविड पूरे उफान पर था, तब मेरे अस्पताल में 96 मरीज थे।
आगरा में भी हाल खराब थे।
हमने सोचा- मेरे बॉस अब समझ जाओ... डिस्चार्ज शुरू करो।
आक्सीजन कहीं नहीं है, आपको बता दूं।
कुछ लोग पेंडुलम बने रहे, नहीं जाएंगे-नहीं जाएंगे।
मैंने कहा- छोड़ो, अब छांटो जिनकी आक्सीजन बंद हो सकती है।
एक मॉक ड्रिल करके देख लो, समझ जाएंगे, कि कौन मरेगा या नहीं मरेगा।
मॉक ड्रिल की तो छटपटा गए, नीले पड़ने लगे और जब, आक्सीजन रोकी तो 22 छंट गए।” सोमवार शाम वायरल इस वीडियो पर गंभीर रूख अपनाते हुये आगरा जिला प्रशासन को सख्त कार्रवाई के आदेश दिये हैं।
उधर, जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने कहा कि आगरा में आक्सीजन की कोई कमी नहीं थी और 24 से 26 अप्रैल के बीच पारस अस्पताल को पर्याप्त आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति की गयी थी।
सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन के रिकार्ड के अनुसार अस्पताल में 26 और 27 अप्रैल को 22 से काफी कम मौते हुयी थी जबकि मृतक मरीजों के रिश्तेदारों का कहना है कि आक्सीजन की कमी के कारण हुयी मौतों की सूची में उनके मरीजों का नाम दर्ज नहीं किया गया है और अस्पताल में आक्सीजन के कारण कई मरीजों को अपनी जाने गंवानी पड़ी थी।
गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर में आगरा का यह अस्पताल ब्लैक लिस्टेड हुआ था।
उस पर कोरोना फैलाने का मुकदमा दर्ज किया गया था।
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