पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने के लिए केंद्र और निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच बातचीत की मांग वाला प्रस्ताव बुधवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पारित किया गया, जिसे लेकर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया।
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भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ नारे लगाए और प्रस्ताव की प्रतियां फाड़ दीं।
इस प्रस्ताव पर भाजपा सदस्यों के भारी हंगामे के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राठेर ने सदन की कार्यवाही गुरूवार तक के लिए स्थगित कर दी।
प्रस्ताव में विशेष दर्जे को ‘‘एकतरफा तरीके से हटाए’’ जाने पर भी चिंता व्यक्त की गई। हालांकि, इसे बिना किसी बहस के पारित कर दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने शोरगुल के बीच इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
प्रस्ताव पारित होने के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि विधानसभा ने अपना काम कर दिया है।
विधानसभा परिसर के बाहर अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘विधानसभा ने अपना काम कर दिया है। मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा।’’
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और माकपा के सदस्यों ने ध्वनि मत के दौरान प्रस्ताव का समर्थन किया।
जहां कई राजनीतिक दलों ने इस कदम का स्वागत किया, वहीं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह एक ‘‘आधा-अधूरा’’ प्रयास था और प्रस्ताव को ‘‘बेहतर तरीके से लिखा जा सकता था।’’
नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।
इससे पहले दिन में, प्रस्ताव पारित होने के बाद विधानसभा में शोरगुल देखने को मिला क्योंकि भाजपा सदस्य प्रस्ताव का विरोध करने के लिए अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राठेर ने कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
विधानसभा की कार्यवाही जैसे ही फिर से शुरू हुई, भाजपा सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा और राठेर के खिलाफ नारे लगाए।
भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कहा, ‘‘हमारे पास सूचना है कि आपने (विधानसभा अध्यक्ष) कल मंत्रियों की बैठक बुलाई और खुद ही प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया।’’
राठेर ने विरोध कर रहे भाजपा सदस्यों को अपनी सीटों पर जाने तथा सदन की कार्यवाही चलने देने के लिए कहा।
शोरगुल के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने नेकां के जावेद हसन बेग को उपराज्यपाल के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पेश करने के लिए कहा। शोरगुल जारी रहने पर अध्यक्ष ने कार्यवाही को फिर से एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया। बाद में कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे केंद्र ने पांच अगस्त, 2019 को रद्द कर दिया था।
चौधरी द्वारा पेश प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘यह विधानसभा विशेष दर्जे और संवैधानिक गारंटी के महत्व की पुष्टि करती है, जिसने जम्मू और कश्मीर के लोगों की पहचान, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा की और उन्हें एकतरफा तरीके से हटाए जाने पर चिंता व्यक्त करती है।’’
प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘यह विधानसभा इस बात पर जोर देती है कि बहाली की किसी भी प्रक्रिया में राष्ट्रीय एकता और जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।’’
विपक्ष के नेता सुनील शर्मा सहित भाजपा सदस्यों ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यह सदन की कार्यसूची का हिस्सा नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रस्ताव को खारिज करते हैं। हमें जो कार्य सूची दी गयी थी, वह यह थी कि चर्चा उपराज्यपाल के अभिभाषण पर होगी।’’
प्रस्ताव पारित होने का स्वागत करते हुए माकपा विधायक एम.वाई. तारिगामी ने कहा कि यह ‘‘ऐतिहासिक’’ है।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद लोन ने कहा कि पांच अगस्त, 2019 को जो कुछ हुआ वह ‘‘जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा के विरुद्ध था।’’
सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस की गठबंधन सहयोगी कांग्रेस ने कहा कि भूमि और नौकरियों के अधिकारों की सुरक्षा सहित संवैधानिक गारंटी के साथ जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बिना किसी देरी के बहाल किया जाना चाहिए।
इस बीच, जम्मू में भाजपा की स्थानीय इकाई ने प्रस्ताव पारित किए जाने की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने नारेबाजी के बीच मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का पुतला फूंका।
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