Stubble Burning Issue: पंजाब और हरियाणा में पराली से होने वाले प्रदूषण पर एक्शन लेगी सरकार

Last Updated 10 Oct 2023 07:39:23 PM IST

धान की फसल की कटाई के साथ ही पंजाब और हरियाणा में किसान फसलों के अवशेष यानी पराली को जलाना शुरू कर देते हैं। जिससे एनसीआर के क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है।


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Stubble Burning Issue: धान की फसल की कटाई के साथ ही पंजाब और हरियाणा में किसान फसलों के अवशेष यानी पराली को जलाना शुरू कर देते हैं। जिससे एनसीआर के क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है। यह समस्या हर साल की है इसकी वजह से एनसीआर का इलाका गैस चेंबर बन जाता है। हालांकि पंजाब और हरियाणा दोनों ही राज्यों की सरकार पराली जलाने के मामले को लेकर कई तरह के कदम उठा रही है। लेकिन इसके बावजूद भी इस समस्या पर पूरी तरह लगाम नहीं लग पाई है।

इस बात को मद्देनजर रखते हुए  केंद्र सरकार लगातार इस और काम कर रही है, केंद्र सरकार ने पंजाब में पराली जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया है। इसके मद्देनजर वहां के किसानों को जागरूक किया जाएगा और बताया जाएगा कि पराली जलाने से स्वास्थ्य से लेकर पर्यावरण तक  कितना नुकसान होता है, जिसका खामियाजा हम सभी को भुगतना पड़ता है। 

पराली की समस्या का समाधान के लिए पंजाब के कपूरथला से  led van रथ लॉन्च किए गए जिसका उद्घाटन MNRE (ministry of new and renewable energy ) secretary श्री भूपेंद्र सिंह भल्ला द्वारा किया गया।

ये कैंपेन पराली की समस्या को दूर करने के लिए गांव गांव किसानो के लिए जागरूक अभियान चालू किया गया है जिसमे की सभी किसानो को पराली से होने वाली समस्या को दूर करने के लिए शुरू हुआ है।

हर जिले में इस तरह की एक गाड़ी जायेगी जो की हर गांव को कवर करते हुए सभी किसानो तक जायेगी और अपनी पराली जलाने की जगह कुछ और उपाय बताए जाएंगे।

केंद्र सरकार अपनी इस अवेयरनेस प्रोग्राम के जरिए  गांव गांव जाकर किसानों को बताना चाहती है, पराली से पैलेट बनाने के इस सफर में कैसे वह केंद्र सरकार का साथ दे सकते हैं।

अपने खेतों में पड़ी पराली या कटाई के बाद बचे वेस्टेज मटेरियल को जिसे वह जला देते हैं, उसे ना जलाकर किसी मशीनरी के माध्यम से सात आठ गांवों के बीच बने पलेट मैन्युफैक्चरिंग की प्लांट पर ले जाकर उसे वेस्ट से पैलेट का निर्माण कर सकते हैं। उसे पैलेट का इस्तेमाल भट्टी तंदूर या किसी ऐसे स्थान पर किया जा सकता है जहां पर कोयल का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता हो एक तरह से कहा जाए तो यह पायलट कोयले का रिप्लेसमेंट है।

और इसके माध्यम से ग्रामीण अपने लिए नए रोजगार प्राप्त कर सकते हैं साथ ही साथ वो पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।

 

आईएएनएस
नई दिल्ली


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