कोविड-19 के कड़े प्रतिबंधों के बीच ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा
ओडिशा में कोरोना प्रतिबंध और लॉकडाउन के साए में कड़ी सुरक्षा के बीच सोमवार को जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथयात्रा शुरु हुई।
कड़े प्रतिबंधों के बीच भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा |
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि रथ यात्रा के उत्सव कोरोना महामारी के कारण लगातार दूसरे वर्ष केवल पुरी में ही भक्तों की भागीदारी के बिना मनाया जा रहा है। जिला प्रशासन ने पुरी में कल रात से कर्फ्यू लगाकर सभी प्रवेश ¨बदुओं को सील कर दिया। सुरक्षा के 65 प्लाटून पुलिस बल तैनात किया गया और बस और ट्रेन सेवाओं का संचालन बंद कर दिया।
#WATCH | Lord Jagannath Rath Yatra to be held, without the participation of devotees today in Odisha's Puri pic.twitter.com/VB1x0Lmqcj
— ANI (@ANI) July 12, 2021
उन्होंने बताया कि भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा को गोपाल भोग लगाने के साथ दैनिक अनुष्ठान शुरू हुआ। अनुष्ठानों के तहत पहले भगवान बलभद्र को ‘रत्न वेदी’ से बाहर निकाला गया और औपचारिक ‘पहंडी बिजे’ के माध्यम से ‘तलध्वज’ नामक रथ में स्थापित किया गया। उसके बाद देवी सुभद्रा को ‘दार्पदलन रथ’ पर ले जाया गया। ‘हरिबोल और जय जगन्नाथ’ के उद्घोष के साथ मंदिर के सेवकों ने आनंद बाजार और ‘बैशी पहाचा’ के माध्यम से कड़ी सुरक्षा के बीच लायंस गेट तक शंख बजाते हुए मंदिर से देवताओं को अपने कंधों पर उठा ले लिया।
उन्होंने कहा कि रथों पर तीन देवताओं को स्थापित करने के बाद गोवर्धन मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने छह अनुयायियों के साथ रथों पर स्थापित देवताओं के दर्शन किए और जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के निमंत्रण पर पूजा अर्चना की।
उन्होंने कहा कि पुरी के ‘गजपति’ दिब्यसिंह देब द्वारा तीनों रथों पर ‘चेरा पन्हारा’ (सोने की झाड़ू से तीन रथों की सफाई) करने के बाद मंदिर प्रशासन ने तय किए गए एक घंटे के अंतराल पर रथों को एक-एक कर खींचा जाएगा। यह कार्यक्रम दोपहर दो बजे तक खत्म हो जाएगा ।
अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष केवल कोरोना के आरटी-पीसीआर परीक्षण की निगेटिव रिपोर्ट वाले सेवकों को या में शामिल किया गया है और वे ग्रैंड रोड पर रथों को अंतिम गंतव्य गुंडिचा मंदिर तक ले जायेंगे , जहां तीनों देवता नौ दिनों तक रहने के बाद अपने मूल निवास पर लौटेंगे। इस उनके ‘वापसी उत्सव’ के रूप में जाना जाता है।’
उन्होंने बताया कि प्रशासन ने मास्क का उपयोग, सामाजिक दूरी बनाए रखने और कोविड दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए प्रत्येक रथ को केवल 500 सेवकों को खींचने की अनुमति दी गई है।
उन्होंने बताया कि रथ यात्रा के लिए करीब 65 प्लाटून पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। भक्तों की भीड़ को सड़क पर आने से रोकने के लिए बडाडांडा स्थित सभी 108 इमारतों की छतों को सील कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि रथ या उत्सव का दूरदर्शन और अन्य स्थानीय टेलीविजन चैनलों द्वारा सीधा प्रसारण किया गया जा रहा है।
प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर रविवार रात सात बजे से रथया के आयोजन स्थल ग्रैंड रोड पर कर्फ्यू लगा दिया गया है जो मंगलवार रात आठ बजे तक जारी रहेगा। मंदिर प्रशासन ने तीन किलोमीटर की भव्य सड़क के दोनों ओर करीब बीस प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की और बडाडांडा के दोनों सिरों पर दो बड़े विश्राम स्थलों की स्थापना की है।
| Tweet |