दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) को बंद हो चुके सर्कसों के पशुओं की स्थिति पर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।
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न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ पेटा (पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार के हिमायती लोग), भारत द्वारा याचिका पर सुनवाई करते हुए एडब्ल्यूबीआई को हलफनामा दायर करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया।
पेटा के वकील अमन हिंगोरानी ने कहा कि एडब्ल्यूबीआई की ओर से पहले से दाखिल हलफनामे में ऐसे पशुओं की स्थिति पर विशिष्ट रूप से जानकारी नहीं दी गई है।
अदालत ने अपने 10 अगस्त के आदेश में कहा, “प्रतिवादी संख्या तीन (एडब्ल्यूबीआई) के लिए पेश हुए वकील राजेश कुमार गोंगना को सुनिश्चित करना होगा कि तीन हफ्तों के भीतर एक और हलफनामा दायर किया जाए जिसमें ऐसे पशुओं की स्थिति बताई जाए।”
पिछले साल, भारतीय पशु संरक्षण संगठन संघ (एफआईएपीओ) द्वारा अदालत को सूचित किया गया था कि एडब्ल्यूबीआई द्वारा दायर एक रिपोर्ट के अनुसार, उसके साथ लगभग सर्कस के 740 जानवर पंजीकृत थे, लेकिन एक सर्वेक्षण में केवल 28 ही पाए गए।
अदालत ने तब एडब्ल्यूबीआई और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को यह पता लगाने का निर्देश दिया था कि लापता जानवरों का क्या हुआ और उनके साथ पंजीकृत सभी सर्कस जानवरों की स्थिति पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था।
एडब्ल्यूबीआई द्वारा देश भर में सर्कस का निरीक्षण करने पर उसके साथ पंजीकृत जानवरों के मुकाबले जानवरों की संख्या में बहुत बड़ा अंतर मिलने पर अदालत ने इसे “गंभीर” एवं “चौंकाने वाला” करार दिया था।
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