शिवराज सिंह चौहान ने 'लखपति दीदी' और 'ड्रोन दीदी' को किया सम्मानित
केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 78 वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 'लखपति दीदी' और 'ड्रोन दीदी' को सम्मानित किया।
Shivraj Singh Chauhan |
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूं। पहले लाल किले पर प्रधानमंत्री जी का भाषण सुनने के लिए चंद लोग ही आते थे, लेकिन यह कल्पना नहीं की थी कि हमारी दीदियां, किसान और आम लोग भी दिल्ली में लाल किले के सामने बैठकर प्रधानमंत्री जी का भाषण सुनेंगे।"
उन्होंने कहा कि अब इन बहनों ने साबित कर दिया है कि नारी नारायणी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया है। हमारी एक करोड़ बहनें लखपति बन चुकी हैं, यानी जो लोग साल में एक लाख रुपये से ज्यादा कमा रहे हैं, उनकी संख्या एक करोड़ हो गई है।
अब 25 अगस्त को प्रधानमंत्री का महाराष्ट्र के जलगांव में कार्यक्रम है, जिसमें 11 लाख और लखपति दीदियों को सर्टिफिकेट दिए जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा, "लोगों का राजनीतिक तथा शैक्षिक सशक्तिकरण इस सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मिशन है, और हम सब मिलकर इस मिशन को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं। सावन के महीने में दीदियां दिल्ली आई हैं। मैं उनका तहे दिल से स्वागत करता हूं।"
उन्होंने कहा, "जिस तरह से हमारी बहनें काम कर रही हैं, ड्रोन दीदी हैं और पायलट दीदी हैं जो अलग-अलग तरह के काम कर रही हैं, कृषि मित्र हैं, बैंक मित्र हैं, वे खेती-किसानी में लगी हुई हैं। हमारी बहनें छोटी से लेकर बड़ी चीजें बनाने का काम कर रही हैं और भारत की अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण बनाने में अपना योगदान दे रही हैं।
दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की तरह वे खुद को भी आगे बढ़ा रही हैं और अपने देश को भी आगे बढ़ा रही हैं। हमारा संकल्प है कि कोई भी बहन गरीब न रहे और हर बहन करोड़पति बने। गरीबी मुक्त भारत में कोई भी गरीब नहीं रहेगा।"
उन्होंने आगे कहा कि भारत को देखकर आज भी दिल दर्द और पीड़ा से भर जाता है। हमारा देश आज जिस स्थिति में है, वह पहले नहीं थी। दिल को तकलीफ होती है कि पंचतत्वों का प्यारा पंजाब, आज दो नदियों का पंजाब बन गया है।
कहां लाहौर, कहां पेशावर, कहां कराची। देश आजाद हुआ, लेकिन बंट गया। देश का बंटवारा हो गया। देश के बंटवारे के साथ-साथ कई दिल भी टूटे। उस समय हुए नरसंहार को देखकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बंटवारे की विभीषिका आज भी भारत को रुलाती है।
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