Article 370 Supreme Court: जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग, CJI बोले- अस्थायी प्रावधान था अनुच्छेद 370
जम्मू-कश्मीर से धारा-370 को हटाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं पर आज संविधान पीठ ने फैसला सुना दिया है।
|
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर ने भारत संघ में शामिल होने पर आंतरिक संप्रभुता का कोई तत्व बरकरार नहीं रखा, इसलिए अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला संवैधानिक रूप से वैध है।
सोंमवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है।" https://t.co/Q4hodtFrQE
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 11, 2023
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए सोमवार को कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "हमने माना है कि जम्मू और कश्मीर ने भारत संघ में शामिल होने पर संप्रभुता या आंतरिक संप्रभुता का कोई तत्व बरकरार नहीं रखा।" उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 1 और 370 से संकेत मिलता है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने अपनी संप्रभुता पूरी तरह से भारत संघ को सौंप दी है और जम्मू-कश्मीर का संविधान भारत संघ और जम्मू-कश्मीर के बीच संबंधों को आगे परिभाषित करने के लिए है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "जम्मू-कश्मीर के संविधान में 'संप्रभुता' के संदर्भ का स्पष्ट अभाव है और इसके विपरीत, भारत का संविधान अपनी प्रस्तावना में जोर देता है कि भारत के लोग खुद को 'संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य' बनाने का संकल्प लेते हैं।"
उन्होंने कहा, "जम्मू और कश्मीर राज्य के पास आंतरिक संप्रभुता नहीं है जो देश के अन्य राज्यों द्वारा प्राप्त शक्तियों और विशेषाधिकारों से अलग हो।"
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संविधान की प्रस्तावना और धारा 3, 5 और 147 भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 के साथ मिलकर पहली अनुसूची के साथ-साथ अनुच्छेद 370 के साथ पढ़ी जाती हैं, जो "कोई अनिश्चित शर्तों" में इंगित नहीं करता है।
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है। pic.twitter.com/0inT4WAi9K
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 11, 2023
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की संविधान पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के लिए पांच अगस्त 2019 के केंद्र के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सर्वसम्मत, लेकिन तीन अलग-अलग फैसले सुनाए।
संविधान पीठ तीन अलग-अलग, परंतु सर्वसम्मत फैसले सुनाने के लिए पूर्वाह्न 10 बजकर 56 मिनट पर बैठी।
न्यायमूर्ति कौल और न्यायमूर्ति खन्ना ने अपने फैसले अलग-अलग लिखे।
न्यायालय ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 दिन तक सुनवाई करने के बाद पांच सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
| Tweet |