भारत ने दी चीन-पाक को चेतावनी, CPEC में तीसरे पक्ष को न्योता मंजूर नहीं
भारत ने मंगलवार को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से गुजरने वाले अरबों डॉलर के कनेक्टिविटी कॉरिडोर में तीसरे देशों को शामिल करने के उनके कदम के लिए पाकिस्तान और चीन की खिंचाई की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, अरिंदम बागची (फाइल फोटो) |
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, अरिंदम बागची ने कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत ऐसी गतिविधियां 'स्वाभाविक रूप से अवैध, नाजायज और अस्वीकार्य' हैं, और भारत उसी के मुताबिक व्यवहार करेगा।
उन्होंने कहा, "भारत तथाकथित सीपीईसी परियोजनाओं का दृढ़ता से और लगातार विरोध करता रहा है, क्योंकि ये भारतीय क्षेत्र में हैं, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है।"
भारत की यह तीखी प्रतिक्रिया उन रिपोर्टों के सामने आने के बाद आई है, जिनमें कहा गया है कि पाकिस्तान और चीन ने शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय पर सीपीईसी संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) की बैठक में प्रमुख सीपीईसी पहल में शामिल होने के लिए इच्छुक तीसरे देशों का स्वागत करने का फैसला किया।
बागची ने कहा, "हमने तथाकथित सीपीईसी परियोजनाओं में तीसरे देशों की प्रस्तावित भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर रिपोर्ट देखी है। किसी भी पार्टी द्वारा इस तरह की कोई भी कार्रवाई सीधे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है।"
सीपीईसी को 2013 में पाकिस्तान के सड़क, रेल और ऊर्जा परिवहन बुनियादी ढांचे में सुधार के अलावा ग्वादर के गहरे समुद्री बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ने के लिए लॉन्च किया गया था।
सीपीईसी चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा है।
भारत भी बीआरआई की आलोचना करता रहा है, क्योंकि यह सीपीईसी पहल का हिस्सा है।
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