उत्तर भारतीय पूर्व मुख्यमंत्री के कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष होने के आसार

Last Updated 08 Aug 2021 03:06:06 PM IST

कांग्रेस अपने ढांचे में बदलाव पर विचार कर रही है, ऐसे में महासचिव और राज्य प्रभारी स्तर पर होने वाले फेरबदल को लेकर पार्टी के भीतर गंभीर मंथन चल रहा है।


सोनिया गांधी

पार्टी सोनिया गांधी पर बोझ कम करने के लिए एक कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति पर भी विचार कर रही है। सूत्रों का कहना है कि इस पद के लिए एक हिंदी भाषी उत्तर भारतीय पूर्व मुख्यमंत्री पर विचार किया जा रहा है। वर्तमान में पार्टी में तीन पूर्व मुख्यमंत्री हैं - मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा - दोनों के पास अपने-अपने राज्यों में दो बार मुख्यमंत्री रहे।

दूसरा नाम कमलनाथ का है, जो हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और केंद्र में कई बार केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। चौथे व्यक्ति गुलाम नबी आजाद हैं, जो राज्यसभा में विपक्ष के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री थे।



सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाने की संभावना है क्योंकि उनके पास व्यापक अनुभव है और वामपंथी, तृणमूल और राकांपा सहित अधिकांश राजनीतिक दलों के साथ उनके अच्छे कामकाजी संबंध हैं। उन्हें राजनीतिक ढांचे के भीतर एक अच्छी नेटवर्किं ग वाले व्यक्ति के रूप में देखा गया है।

कमलनाथ अहमद पटेल के निधन के बाद से सोनिया गांधी से मिलते रहे हैं और पिछले दिसंबर में जी -23 और सोनिया गांधी के बीच बैठक आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भूपिंदर सिंह हुड्डा पिछले साल सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक थे, जिसमें गुलाम नबी आजाद भी हस्ताक्षरकर्ता थे।

दिग्विजय सिंह उन मुद्दों पर सबसे अधिक मुखर हैं जो राहुल गांधी के करीबी हैं और आरएसएस पर खुलकर हमले करते रहते हैं। इस सप्ताह उन्हें युवा कांग्रेस के आंदोलन में भाग लेने के लिए हिरासत में लिया गया था जिसमें राहुल गांधी शामिल थे। लेकिन वह ऐसे आलोचक हैं जो पार्टी में महासचिव रहते हुए विभिन्न मुद्दों पर उनके फैसले पर सवाल उठाते हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके विवाद के कारण मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकार गिर गई थी।

कमलनाथ को एक संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि वह अक्सर सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलते रहे हैं और पारिवारिक ²ष्टिकोण से एक भरोसेमंद नेता रहे हैं। हालांकि उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि वह भोपाल छोड़ने के इच्छुक नहीं हैं और गांधी परिवार के सामने कई सुझाव भेज चुके हैं। सूत्रों ने यह भी कहा कि वह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के सचिवालय से नहीं बल्कि खुद गांधी परिवार से हस्तक्षेप चाहते हैं।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि कमलनाथ स्वर्गीय अहमद पटेल और मुरली देवड़ा की तिकड़ी का हिस्सा रह चुके हैं। तीनों को सहज राजनीतिक खिलाड़ी के रूप में देखा जाता था और जो जानते थे कि राजनीतिक समीकरणों को सही करने के लिए कौन सा तार खींचा जाना है।

लेकिन, कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों को लगता है कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि सोनिया गांधी ऐसा कोई भी निर्णय लेने से पहले राज्यों की आंतरिक समस्याओं को सुलझाना चाहती हैं। वह चाहती हैं कि राजस्थान जैसे राज्यों में होने वाले चुनावों की तैयारी को मजबूत किया जाए। वह हुड्डा समेत कई अन्य नेताओं को शांत करने की कोशिश कर रही हैं। दिल्ली में, उन्होंने उन विधायकों को नियुक्त किया है, जो हुड्डा को एमसीडी चुनावों के लिए पर्यवेक्षक के रूप में समर्थन दे रहे हैं।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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