मोदी ने सभी दलों से परिसीमन प्रक्रिया में शामिल होने की अपील की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि केन्द्र सरकार जम्मू कश्मीर में जल्द ही विधानसभा चुनाव कराकर निर्वाचित सरकार की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन इसके लिए पहले सभी दलों को परिसीमन प्रक्रिया में खुलकर हिस्सा लेना चाहिए जिससे कि इस काम को अच्छी तरह अंजाम दिया जा सके।
मोदी ने सभी दलों से परिसीमन प्रक्रिया में शामिल होने की अपील की |
श्री मोदी ने जम्मू कश्मीर के सियासी भविष्य के संबंध में वहां के राजनीतिक दलों के साथ प्रधानमंत्री निवास पर लगभग साढे तीन घंटे तक चली बैठक के दौरान यह बात कही। बैठक में आठ राजनीतिक दलों के 14 नेताओं ने हिस्सा लिया।
परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव
गृह मंत्री अमित शाह ने भी बैठक में कहा कि केन्द्र सरकार अपने वादे के अनुसार जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन इससे वहां परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव कराये जायेंगे।
सूत्रों के अनुसार बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और प्रधानमंत्री ने सभी नेताओं से खुलकर अपनी बात रखने को कहा। सभी नेताओं ने अपने अपने मुद्दे बैठक में रखे प्रधानमंत्री ने धैर्य के साथ उनकी बात सुनी और कहा कि वह सभी बातों पर गंभीरता के साथ विचार करेंगे।
उन्होंने सभी दलों से अपील की कि वे परिसीमन प्रक्रिया में हिस्सा लें और जितनी जल्दी यह प्रक्रिया पूरी होगी उतनी जल्दी ही राज्य में निर्वाचित सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली और दिल की दूरी नहीं रहनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार जम्मू कश्मीर में विकास के प्रति वचनबद्ध है और वह केन्द्र शासित प्रदेश को देश के साथ विकास के पथ पर आगे बढाने के लिए हर संभव कदम उठायेगी।
जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग
बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि लगभग सभी नेताओं ने राज्य में जल्द से जल्द चुनाव कराने और जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बैठक में मुख्य रूप से पांच मांगे रखी जिनमें पूर्ण राज्य का दर्जा देना सबसे प्रमुख है। पार्टी का कहना है कि अभी जम्मू कश्मीर और सीमा पर स्थिति शांत है इसलिए चुनाव कराने का अनुकूल माहौल है।
साथ ही पार्टी ने जम्मू कश्मीर के लोगों को पहले की तरह जमीन और रोजगार की गारंटी देने तथा 30 वर्षों से बाहर रह रहे कश्मीरी पंडितों की वापसी तथा उनके पुनर्वास की मांग की। उन्होंने कहा कि साथ ही पार्टी ने राजनीतिक बंदियों की जल्द से जल्द रिहायी की भी मांग की।
बैठक में श्री आजाद, नेशनल कांफ्रेन्स के नेता फारूख अब्दुल्ला तथा उमर फारूख और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती, भाजपा के चमनलाल और जम्मू कश्मीर के अन्य राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए।
जम्मू कश्मीर में राजनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण इस बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डा जितेन्द्र सिंह, प्रधानमंत्री के प्रधान सलाहकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केन्द्र शासित प्रदेश के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियो ने हिस्सा लिया।
कश्मीरी पंडितों के संगठनों ने बैठक में उन्हें न बुलाये जाने का विरोध जताया
जम्मू कश्मीर का पांच अगस्त 2019 को राज्य का दर्जा समाप्त किये जाने तथा उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित किये जाने के बाद केन्द्र की ओर से वहां के राजनीतिक दलों के साथ बातचीत की पहली बार पेशकश की गयी है। उधर कश्मीरी पंडितों के संगठनों ने बैठक में उन्हें न बुलाये जाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि वह एक महत्वपूर्ण पक्ष हैं और उनकी बात भी सुनी जानी चाहिए।
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