एसयूवी मामला : "सुप्रीम' जांच से मिल सकते हैं अहम सवालों के जवाब'

Last Updated 21 Mar 2021 11:06:06 PM IST

पिछले महीने मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास विस्फोटक लदी एसयूवी कार खड़ी पाई जाने के मामले में कई अहम सवालों के जवाब आने अब भी बाकी रह गए हैं।


मुंबई में मुंबई में एसयूवी मामला

पूर्व पुलिस प्रमुखों ने सुझाव दिया है कि न्याय के हित में पुलिस-अपराधी-राजनेता सांठगांठ की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच जरूरी है, क्योंकि यह 'नेक्सस' भारत की वाणिज्यिक राजधानी में अनिवार्य रूप से मौजूद है।

इस मामले के तूल पकड़ने से महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल आ गया है। यह राजनीतिक विवाद प्रदेश की महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार में समीकरणों को बिगाड़ सकता है। कई पूर्व डीजीपी ने सुझाव दिया है कि किसी राज्य या केंद्रीय एजेंसी के बजाय सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच किसी ईमानदार वरिष्ठ अधिकारी को सौंपना बेहतर होगा।

भारत में पुलिस सुधारों के प्रमुख वास्तुकार के रूप में प्रख्यात पुलिस अधिकारी प्रकाश सिंह ने कहा, "भाजपा और शिवसेना के बीच संबंध तल्ख हैं। राज्य एजेंसी (आतंकवाद-रोधी दस्ते) एटीएस और केंद्रीय एजेंसी (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) एनआईए घनिष्ठ समन्वय में काम नहीं कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में जब राज्य और केंद्र के बीच संबंध मधुर नहीं होते हैं तो स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच एकमात्र विकल्प है।"

उत्तर प्रदेश और असम में बीएसएफ के डीजीपी रहे सिंह ने आईपीएस बिरादरी की चिंता का हवाला देते हुए कहा कि जब एक गृहमंत्री (अनिल देशमुख) पर उनके पूर्व आयुक्त (परमबीर सिंह) ने व्यवसायियों और उद्योगपतियों से उगाही कराने के लिए पुलिसकर्मियों के शोषण करने का आरोप लगाया है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि सत्ता में बैठे लोगों द्वारा कानून के शासन का दुरुपयोग किया जा रहा है।

इंडियन पुलिस फाउंडेशन एंड इंस्टीट्यूट के चेयरमैन प्रकाश सिंह ने कहा, "हमें 100 करोड़ रुपये की मासिक उगाही का विवरण पता नहीं है, जैसा कि पूर्व आयुक्त ने अपने पत्र में आरोप लगाया गया है। लेकिन ऐसा लगता है कि बड़ी मात्रा में रकम पार्टी को, संबंधित मंत्री को और कुछ हिस्सा पुलिस को भी जा रहा था। अब सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री इस जबरन वसूली रैकेट में शामिल थे या नहीं या वह इस बाबत कार्रवाई करने में नाकाम रहे।"

शनिवार को एसयूवी मामले में एक सनसनीखेज मोड़ उस समय आया, जब परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाते हुए कहा कि मंत्री चाहते थे कि उनकी टीम के सदस्य सचिन वाजे बार और हुक्का पार्लरों से प्रति माह 100 करोड़ रुपये की उगाही करें।

देश के सबसे अमीर व्यवसायी को डराने की साजिश रचने में निलंबित असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर (एपीआई) सचिन वाजे की भूमिका पर एक अन्य प्रतिष्ठित पुलिस अधिकारी और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने कहा कि राज्य के गृहमंत्री के इशारे पर साजिश को निष्पादित करने के लिए एपीआई स्तर का अधिकारी बहुत ही जूनियर है।

यूपी कैडर के 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह ने कहा, "सवाल यह है कि एपीआई स्तर के पुलिसकर्मी को गृहमंत्री तक पहुंच कैसे मिली? इसके अलावा, जब वाजे ने गृह मंत्री को सीधे रिपोर्ट करने के लिए पुलिस पदानुक्रम को दरकिनार कर दिया, तो उसके सीनियर क्या कर रहे थे? पर्यवेक्षक अधिकारियों को हस्तक्षेप करना चाहिए था।"

यह पूछे जाने पर कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की आपत्तियों के बावजूद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वाजे को कैसे बहाल किया, ओपी सिंह ने कहा कि उन्हें बहाल करने एवं इस महत्वपूर्ण स्थान (मुंबई क्राइम ब्रांच) में पोस्ट करने के मकसद का पता लगाने के लिए जांच शुरू की जानी चाहिए।

सिंह ने कहा, "जो बात मुझे आश्चर्यचकित करती है वह यह है कि वाजे तो शिवसेना के आदमी थे, फिर उन्होंने गृहमंत्री के साथ मिलकर षड्यंत्र कैसे रचा, क्योंकि वह तो किसी अन्य पार्टी (एनसीपी) से हैं। क्या वाजे शिवसेना और एनसीपी दोनों के लिए काम कर रहे थे या वाजे की उगाही टीम को समर्थन देने के लिए दोनों पार्टियों में कोई समझौता हुआ था?"

वाजे जैसे एपीआई रैंक के अधिकारी को असीमित शक्ति देने पर सीबीआई के पूर्व महानिदेशक और बीएसएफ के संयुक्त निदेशक रजनीकांत मिश्रा ने कहा कि इस तरह की गड़बड़ी तब होती है, जब किसी पुलिस अधिकारी को सत्ता पक्ष की ओर से अतिरिक्त कानूनी काम करने के लिए कहा जाता है।

मिश्रा ने कहा, "जब अधीनस्थ अपने निर्धारित कार्य से हट जाते हैं और इस तरह की गतिविधियों (जबरन वसूली) में लिप्त हो जाते हैं, तो वे अक्सर हदें पार कर जाते हैं। वाजे दिए गए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) से हट गए और सभी प्रकार के कार्य (आपराधिक गतिविधि) में शामिल हो गए। सवाल यह उठता है कि आखिर इतनी बड़ी गलती किसकी थी, वाजे की या उनके आकाओं की?"

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment