संसद: बजट पर चर्चा जारी, विपक्ष ने बताया दिशाहीन, सत्ता पक्ष ने कहा ‘आत्मनिर्भर भारत की झलक'

Last Updated 12 Feb 2021 01:47:19 PM IST

बजट 2021-22 को दिशाहीन औऱ गरीब विरोधी बताते हुए विपक्ष ने आरोप लगाया कि इसमें रक्षा सहित कई अहम मदों में कटौती की गई है और गरीबों को राहत देने का कोई प्रयास नहीं किया गया है...


...वहीं सत्ता पक्ष ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की झलक दिखाने वाला यह बजट कोविड काल से उबरते समय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगा ।      

उच्च सदन में बजट 2021-22 पर चर्चा को आगे बढाते हुए तृणमूल कांग्रेस के अबीर रंजन बिस्वास ने बजट को छलावा बताया। उन्होंने कहा कि सभी जरूरी मदों में यहां तक की रक्षा क्षेत्र का बजट तक घटा दिया गया है जबकि जरूरी क्षेत्रों को पुनर्जीवन पैकेज दिया जाना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरह यह बजट तैयार किया गया है, उससे साफ है कि यह कारपोरेट घरानों के लिए ही है। उन्होंने कहा ‘‘सरकार के पास हर समस्या का एक ही जादुई जवाब है - निजीकरण। लाभकारी उपक्रमों को घाटे वाले बता कर उनका निजीकरण किया जाना सही नहीं है। बजट कहता है कि अगर आपको परेशानी है तो सहें, शिकायत न करें, उम्मीद न करें ।’’      

बिस्वास ने कहा ‘‘असम के चाय बगान के कर्मी लगातार परेशानी से गुजर रहे हैं। उनके लिए केवल 100 करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया गया है। दो राज्यों के चाय बगान कर्मियों की संख्या करीब पांच लाख है और इस पैकेज को देखें को प्रत्येक कर्मी को पूरे साल में केवल दो हजार रुपये मिलेंगे। इससे उनका क्या भला होगा ?’’      

उन्होंने आरोप लगाया कि समग्र शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय बालिका प्रोत्साहन योजना, खेल सहित कई क्षेत्रों में बजट घटा दिया गया है।       

चर्चा में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने हस्तक्षेप करते हुए कहा ‘‘यह बजट आशा जगाने वाला है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें पूंजीगत व्यय में साढे पांच लाख करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है।’’ उन्होंने कहा ‘‘विभिन्न मदों में कटौती की बात की जा रही है। सच तो यह है कि अनुसूचित जाति के लिए बजट में 51 फीसदी की वृद्धि की गई है। पिछड़े वर्ग के लिए 28 फीसदी बजट बढाया गया। विकलांगों के लिए 30 फीसदी और महिलाओं के लिए बजट में 16 फीसदी की वृद्धि की गई है।’’      

 

ठाकुर ने कहा कि निजीकरण संप्रग सरकार के समय शुरू हुआ और चार हवाईअड्डे निजी हाथों में दे दिए गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि एयर इंडिया की हालत संप्रग सरकार के कार्यकाल में खराब होना शुरू हो गई थी।  उन्होंने दावा किया कि राजग सरकार ने चालू खाते का घाटा कम किया है और सरकार की नीतियों के कारण लोगों का बैकिंग व्यवस्था में भरोसा बढा है।       

वित्त राज्य मंत्री ने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में घोटाले लगातार हुए। उन्होंने कहा ‘‘मोदी सरकार के सात साल होने जा रहे हैं लेकिन सात पैसों का भी आरोप किसी मंत्री पर नहीं लगा है।’’ उन्होंने कहा ‘‘मध्यम सूक्ष्म लघु उद्योगों के लिए मोदी सरकार ने कारोबार की सीमा बढाई। तीन लाख करोड़ रुपये उन्हें दिया गया। रेरा जैसा कानून, गरीबों को मकान लेने पर एक साल के लिए राजसहायता की छूट बढाना आदि वह कारण हैं जिनकी वजह से आज रियल एस्टेट क्षेत्र में तेजी आई है।’’      

ठाकुर ने कहा ‘‘आज भारत आत्मनिर्भर हो रहा है। हमने न केवल देश में पीपीई किट बनाए बल्कि कोविड का टीका भी बनाया और दूसरे देशों को दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा ‘‘जिन नए कृषि कानूनों की आलोचना की जा रही है.. सच यह है कि इन कानूनों को किसानों के कल्याण के लिए लाया गया है, इनसे उनकी आय दोगुनी होगी।’’ 

उन्होंने कहा ‘‘ संप्रग सरकार के कार्यकाल में गेहूं की 33874 करोड़ रुपये की हुई जबकि राजग सरकार के शासनकाल में यह 75000 करोड़ रुपये की हुई। संप्रग सरकार के कार्यकाल में धान की खरीद 63000 करोड़ रुपये की हुई, लेकिन राजग सरकार ने 1,72,752 करोड़ रुपये में धान की खरीद की। संप्रग सरकार के कार्यकाल में कपास की खरीदी 90 करोड़ रुपये की थी वहीं हमने 25974 करोड़ रुपये की कपास की खरीद की।     

ठाकुर ने कहा ‘‘मैं यह भरोसा दिलाता हूं कि मंडी व्यवस्था खत्म नहीं होगी बल्कि इसे और मजबूत किया जाएगा।’’ 

एलजेडी के एम वी श्रेयंस ने कहा कि बजट में केरल की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया है। एम्स की स्थापना, विशेष रेल जोन आदि की मांग केरल की अहम मांगें हैं जिन पर बजट में कुछ नहीं कहा गया है। उन्होंने कहा ‘‘महिला अधिकारिता के लिए बजट में 95 फीसदी की कमी की गई है। यह नहीं होना चाहिए था। प्रवासी मजदूरों के लिए जो घोषणाएं की गई हैं वे केवल दिखावा हैं। ’’ उन्होंने एमपीलैड की राशि जारी किए जाने की मांग की।      

बसपा के अशोक सिद्धार्थ ने कहा ‘‘सरकार निजीकरण को बढावा दे रही है। लेकिन इसमें आरक्षण व्यवस्था पर समुचित ध्यान दिया जाना चाहिए। अक्सर यह होता है कि निजीकरण के बाद उपक्रम में आरक्षण व्यवस्था दरकिनार हो जाती है।’’ उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 1,26,000 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में करने का दावा किया जा रहा है। लेकिन उनकी संख्या, उनकी समस्याएं और जरूरत को देखते हुए उनकी आबादी के आधार पर उनके लिए आवंटन किया जाना चाहिए।      

भाकपा के विनय विस्वम ने कहा ‘‘बजट में पूरा जोर निजीकरण पर है। स्वदेशी की बात करने वाली सरकार एफडीआई के लिए उतारू है। हर क्षेत्र में एफडीआई.. । मैं अनुरोध करता हूं कि आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी आदि के नाम पर लोगों को धोखा न दें।’’ उन्होंने कहा ‘‘बाजार का जो मॉडल आप पेश कर रहे हैं, वह अमेरिका सहित हर जगह असफल हो चुका है। ’’  

कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने कहा ‘‘जिस सरकार में मंत्री अपने पीए या पीएस नियुक्त करने में भी आत्मनिर्भर न हों, वह सरकार आत्मनिर्भरता की बात कैसे करती है ? बजट में वित्त मंत्री का दोष नहीं है। ’’उन्होंने कहा ‘‘एपीएमसी का कर हर जगह भरना पड़ता है चाहे कहीं भी आप अपनी फसल बेचो। इसी कर से मंडी चलती है। नए कानूनों में कहीं भी उत्पाद बेचने की व्यवस्था है। फिर एपीएमसी का कर कहां से आएगा और इसके बिना मंडी कैसे चलेगी।’’      

भाजपा के भूपेंद्र यादव ने कहा ‘‘कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन में सरकार ने गरीबों की हरसंभव मदद की। कोविड काल के बाद स्वास्थ्य का क्षेत्र अहम रहा। इसमें बजट में 137 फीसदी की वृद्धि की गई। बजट में केवल इलाज पर ही नहीं, बल्कि इससे संबंधित अन्य क्षेत्रों जैसे रोकथाम आदि पर भी ध्यान दिया गया है।’’

भाषा
नई दिल्ली


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