दुनिया में अपनी जगह बनाने का रास्ता है ‘आत्मनिर्भर भारत’: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 के पश्चात दुनिया में अपनी जगह बनाने के लिए देश को सशक्त होना पड़ेगा और ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ ही उसका रास्ता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी |
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जितना सशक्त बनेगा, उतना ही वह मानव जाति और वि कल्याण में अपनी भूमिका निभाएगा।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त वि ने एक नया आकार लिया था और ठीक उसी प्रकार कोविड-19 के बाद भी वि अपना आकार लेगा लेकिन आज का भारत ‘‘मूकदर्शक’’ बना नहीं रह सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें भी एक मजबूत देश के रूप में उभरना होगा। जनसंख्या के आधार पर हम दुनिया में अपनी मजबूती का दावा नहीं कर पाएंगे। वह हमारी एक ताकत है लेकिन इतनी ताकत मात्र से नहीं चलता है। नए वैश्विक मॉडल में भारत को अपनी जगह बनाने के लिए सशक्त होना पड़ेगा, समर्थ होना पड़ेगा और उसका रास्ता है आत्मनिर्भर भारत।’’
उन्होंने कहा कि आज फाम्रेसी के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर है और देश ने दुनिया को कोविड संक्रमण के दौरान दिखाया कि वह कैसे वैश्विक कल्याण के काम आ सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत जितना सशक्त बनेगा, जितना समर्थ बनेगा, मानव जाति के कल्याण के लिए, विश्व के कल्याण के लिए एक बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकेगा। हमारे लिए आत्मनिर्भर भारत के विचार आवश्यक है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण देश के 130 करोड़ नागरिकों की संकल्प शक्ति का परिचय है कि विकट और विपरीत परिस्थितियों में देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और उसे हासिल करते हुए आगे बढता है।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के अभिभाषण का एक-एक शब्द देशवासियों में एक नया विास पैदा करने वाला है और हर किसी के दिल में देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा जगाने वाला है। इसलिए हम उनका जितना आभार व्यक्त करें उतना कम है।’’
अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी के लिए प्रधानमंत्री ने महिला सदस्यों का विशेष रूप से धन्यवाद किया।
श्री मोदी ने कहा कि देश के समक्ष एक अदृश्य दुश्मन आया था जिसने पूरी दुनिया को हिला दिया था और शक्तिशाली देश भी उसके सामने घुटने टेक चुके थे। पूरे विश्व को आशंका थी कि यह बीमारी भारत को तबाह कर जाएगी और यह आशंका स्वाभाविक भी थी लेकिन हमारे कोरोना योद्धा हमारे लिए भगवान बन कर आये और उन्होंने अपनी परवाह किए बिना पूरी शक्ति के साथ इस बीमारी का मुकाबला किया और देवदूत बनकर आए इन्हीं कोरोना योद्धाओं के कारण भारत आज कोरोना विजेता बनकर उभर रहा है।
उन्होंने कहा कि कोराना काल में भारत जिस तरह से खुद को संभाला है और आगे बढाया है उसकी ताकत हमें हमारी सर्वे भवंतु के सिद्धांत से मिली है। हम दुनिया की शांति की बात करते हैं और अपना काम करते रहते हैं यह कोरोना काल में पूरी दुनिया ने देख लिया है। कोरोना जैसी महामारी में 130 करोड की आबादी वाले देश को संभालना आसान नहीं था लेकिन हमारे देश के लोगों ने खुद के अनुशासन से यह भी साबित किया है कि हम कोरोना जैसी महामारी को आत्मबल से हरा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत असंख्या भाषाओं, रीति रिवाजों और संस्कृतियों का देश है। उनका कहना था कि जब अंग्रेज गये थे तो उनका कहना था कि भारत एक महादीप है और इसे संभालना संभव नहीं है लेकिन हमारे देश के लोगों की राष्ट्रभक्ति और एकता के संकल्प ने अंग्रेजों की सोच को निराधार साबित किया है। उन्होंने विवेकानंद का भी जिक्र किया और कहा कि वह कहते थे कि एक राष्ट्र को एक संदेश होता है और हर देश एक मिशन होता है।
प्रधानमंत्री ने सदन में अभिभाषण पर चर्चा में महिला सांसदों की ज्यादा भागीदारी पर खुशी जताई और कहा कि महिला सांसदों ने न सिर्फ ज्यादा संख्या में अभिभाषण पर हुई चर्चा में हिस्सा लिया बल्कि अपनी सोच, शोधपरक क्षमता, अपने तर्क और अपनी समृद्ध अभिव्यक्ति का भी परिचय दिया है।
उन्होंने कोरोना काल में डिजीटल इंडिया को मिले बढावा का भी जिक्र किया और कहा कि इस दौर में जनधन खाते, आधार और मोबाइल के बल पर दो लाख करोड रुपए का लेनदेन हुआ है और इससे गरीब को फायदा पहुंचा है। उन्होंने आधार को लेकर विपक्ष के न्यायालय जाने की भी आलोचना की।
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