लाल किले की हिंसा में भाजपा और आप के वर्कर और समर्थक शामिल :अमरिंदर

Last Updated 28 Jan 2021 06:27:40 PM IST

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा है कि लाल किले पर निशान साहिब लहराते समय कैमरे में कैद हुये चेहरे कांग्रेस के नहीं भाजपा तथा आम आदमी पार्टी के वर्करों तथा समर्थकों के हैं।


पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज यहां एक बयान में लाल किले की हिंसक घटना की जिम्मेदारी किसी अन्य पर डालने के लिए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर को आड़े हाथों लेते हुये कहा कि भाजपा तथा आप समर्थकों और कार्यकर्ताओं की मिलीभगत से यह हुआ। कांग्रेस तो समूचे घटनाक्रम में कहीं भी नहीं थी।
    
कैप्टन सिंह ने यह टिप्पणी उस समय की जब दिल्ली पुलिस ने भाजपा सांसद सनी देओल के नादीकी दीप सिद्धू को हिंसा के लिए भडक़ाने वालों में से एक के तौर पर पहचाना गया है और आप का सदस्य अमरीक मिक्की भी हिंसा वाली जगह पर उपस्थित था।
 
उन्होंने कहा कि लाल किले पर कांग्रेस का एक भी नेता या वर्कर नहीं देखा गया। 26 जनवरी को घटी इस घटना के लिए किसान भी जिम्मेदार नहीं हैं। समाज विरोधी तत्वों ने इस घटना को अंजाम दिया जिन्होंने ट्रैक्टर रैली में घुसपैठ कर ली थी।
 
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस सारी घटना की निष्पक्ष जाँच करनी चाहिए ताकि इसमें किसी भी राजनीतिक पार्टी या किसी देश की संभावित भूमिका का पता लगाया जा सके। गुनाहगारों को सा मिले और असली किसानों को बेवजह परेशान या बदनाम न किया जाए।
 
राहुल गांधी पर हिंसा के लिए उकसाने के आरोपों को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि ये भाजपा और आप के लोग थे जिन्होंने यह सब कुछ किया। श्री गांधी ने हिंसा की निंदा करते हुये स्पष्ट किया था कि हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है।
 
श्री जावेडकर के आरोपों को खारिज करते हुए कैप्टन सिंह ने कहा कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है, बल्कि भाजपा नेता अपनी पार्टी का हाथ होने के कारण उस पर पर्दा डालने के लिए ऐसा कह रहे हैं। भाजपा स्थिति को संभालने में बुरी तरह नाकाम साबित हुई है जिसने सबसे पहले कृषि कानूनों को अपने मनमाने ढंग से लागू करके ऐसे हालात पैदा किए।
    
उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली की सरहदों पर किसानों के जाने पर रोक थी तो फिर केंद्र सरकार को किसानों को रास्ते में रोकने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री को निर्देश दिए जाने चाहिए थे।
   
उन्होंने केंद्र सरकार और भाजपा को अहंकार का त्याग करके कृषि कानून रद्द करने की मांग की । यदि केंद्र सरकार कृषि कानूनों को दो सालों के लिए स्थगित कर सकती है, तो इनको साधारण ढंग से रद्द करके किसानों और अन्य पक्षों के साथ सलाह-मशविरा करके नए कानून क्यों नहीं ला सकती।

वार्ता
चंडीगढ़


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment