Budget 2021: कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेंगी कांग्रेस समेत 16 पार्टियां
कांग्रेस समेत देश के 16 विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया है
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद (फाइल फोटो) |
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि 16 राजनीतिक दलों ने कल राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का बयान जारी किया है। इसका प्रमुख कारण पिछले सत्र में विपक्ष की गैर मौजूदगी में कृषि संबंधित तीन कानूनों को सरकार द्वारा बलपूर्वक पारित कराना है।
कल राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ ही बजट सत्र शुरू हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति कोविंद के संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ शुक्रवार को बजट सत्र का आगाज होगा.
विपक्षी दलों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को मनमाने ढंग से लागू किया है जिससे देश की 60 प्रतिशत आबादी पर आजीविका का संकट पैदा हो गया है। इससे करोड़ों किसान और खेतिहर मजदूर सीधे प्रभावित हो रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले 64 दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और 155 से ज्यादा किसान अपनी जान गंवा चुके हैं।
इस बयान पर आजाद के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्य सभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला, द्रविड मुने कषगम के टी आर बालू, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, शिवसेना के संजय राउत, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के इलावरम करीम, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनय विस्वम, आईयूएमएल के पी. के. कुंझालीकुट्टी, आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन, पीडीपी के नजीर अहमद लावे, मरुमलारची द्रविड मुने कषगम के वाइको, केरल कांग्रेस के थामस चाजीकदान और अखिल भारतीय यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बदरुद्दीन अजमल ने हस्ताक्षर किये हैं।
बयान में विपक्षी दलों ने सरकार पर किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं देने और उनके आंदोलन के बारे में भ्रम फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि वह किसानों को लाठी, पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोले से जवाब दे रही है। प्रधानमंत्री और सरकार पर अहंकारी होने का आरोप लगाते हुए विपक्षी दलों ने कहा है कि वे अड़यिल और अलोकतांत्रिक रवैया अपनाना रहे हैं, इसलिए सरकार की असंवेदनशीलता को देखते हुए विपक्षी दल सामूहिक रुप से किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हैं और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हैं। इसके साथ कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने की घोषणा की है।
बयान में कहा गया है कि किसानों का आंदोलन पूरी तरह से शांति पूर्ण रहा है लेकिन 26 जनवरी गणतां दिवस पर की गयी हिंसा सर्वदा निदंनीय है। बयान में हिंसा में घायल पुलिस कर्मियों के प्रति सम्वेदना व्यक्त की गयी है। विपक्षी दलों ने कहा है कि गणतां दिवस पर हुई हिंसा की पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए।
तीनों कृषि कानूनों को राज्यों के अधिकारों और संविधान की संघीय भावना का उल्लंघन करार देते हुए बयान में कहा गया है कि यदि ये कानून रद्द नहीं किये गये तो इससे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा का ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो जाएगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य, सरकारी खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर बुरा असर पड़ेगा।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि कृषि कानून राज्यों, और किसान संगठनों से सलाह-मशविरा के बिना पारित किये गये हैं और इन पर राष्ट्रीय सहमति नहीं बनायी गयी है।
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