किसान आंदोलन पर ’सुप्रीम‘ चिंता, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जमीनी स्तर पर नहीं हुआ सुधार, सुनवाई 11 को
पिछले 40 दिन से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के जारी रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई।
किसान आंदोलन |
शीर्ष कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि जमीनी स्तर पर सुधार नहीं हुआ है। सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच बातचीत होनी चाहिए। हम भी वार्ता के पक्ष में हैं।
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने किसानों और सरकार के बीच चल रही वार्ता से हल निकलने की उम्मीद जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि बातचीत को बढ़ावा देने की जरूरत है। कृषि कानूनों को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 11 जनवरी तक स्थगित कर दी।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने टिप्पणी की कि किसान आंदोलन के मसले पर जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं हुआ है। केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि सरकार और किसानों के बीच इन मसलों पर स्वस्थ विचार-विमर्श जारी है। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि निकट भविष्य में संबंधित पक्षों के किसी नतीजे पर पहुंचने की काफी उम्मीद है और नए कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र का जवाब दाखिल होने की स्थिति में किसानों और सरकार के बीच बातचीत बंद हो सकती है।
संवैधानिक वैधता को चुनौती
सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा तथा अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। शर्मा ने भी तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दे रखी है। अदालत ने शर्मा की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। शर्मा का तर्क है कि केंद्र को संविधान के तहत इन कानूनों को बनाने का अधिकार नहीं है। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि यह किसानों से संबंधित मामले हैं। दूसरे मामले कहां हैं, वे कब सूचीबद्ध हैं, हम सारे मामलों की एक साथ सुनवाई करेंगे।
एजी से स्थिति के बारे में पूछा
कोर्ट ने मेहता से कहा कि दूसरे मामलों की स्थिति के बारे मे पता करें कि वे कब सूचीबद्ध हैं। मेहता ने कहा कि इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पहले कोई निश्चित तारीख नहीं दी गई थी। बेंच ने कहा कि हम इस याचिका को शुक्रवार को सुनवाई के लिए रख रहे हैं। इस बीच संशोधित याचिका को रिकार्ड पर लेने की अनुमति दे रहे हैं। शर्मा चौंकाने वाली याचिकाएं दायर करते हैं और कहते हैं कि केंद्र को कानून बनाने का अधिकार नहीं है।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सरकार और किसानों के बीच स्वस्थ वातावरण में बातचीत जारी है और इस मामले को आठ जनवरी को सूचीबद्ध नहीं किया जाना चाहिए। इस पर अदालत ने कहा कि हम स्थिति को समझते हैं और सलाह-मशविरे को प्रोत्साहन देते हैं। अगर आप बातचीत की प्रक्रिया के बारे में कहते हैं तो हम इस मामले को सोमवार 11 जनवरी के लिए स्थगित कर सकते है।
►हम स्थिति को समझते हैं और सलाह मशविरे को प्रोत्साहन देते हैं। अगर आप बातचीत की प्रक्रिया के बारे में कहते हैं तो हम इस मामले को सोमवार के लिए स्थगित कर सकते हैं
- सुप्रीम कोर्ट
| Tweet |