किसानों को जवाब का इंतजार, सरकार ने नहीं बताया किसानों की शर्तों पर वार्ता करेगी अथवा नहीं

Last Updated 28 Dec 2020 01:36:00 AM IST

सरकार ने एक दिन बाद भी यह साफ नहीं किया है कि क्या वह प्रदर्शनकारी किसानों की शर्तों पर उनसे मंगलवार को वार्ता करेगी अथवा नहीं।


रविवार को प्रधानमंत्री के रेडियो पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान गाजीपुर बॉर्डर पर ताली-थाली बजाकर विरोध करते प्रदर्शनकारी किसान।

किसानों ने कृषि कानून रद्द करने की प्रक्रिया बताए जाने के क्रम में वार्ता करने की शर्त रखी है।  कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें भी सरकार के रुख की जानकारी नहीं है। उधर प्रमुख किसान नेताओं ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार सोमवार को अवश्य कहेगी कि वह वार्ता करेगी। हालांकि किसान नेताओं ने कहा कि वह इस मामले में सरकार की प्रतिक्रिया नहीं आने से बेचैन नहीं हैं। एक प्रमुख किसान नेता ने कहा कि सरकार बार-बार वार्ता के प्रस्ताव भेजकर गेंद हमारे पाले में फेंक रही थी, हमने सशर्त वार्ता की तारीख और समय बताकर उसकी तरफ गेंद फेंक दी है।

इस बीच एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार चाहती है कि किसान पहले उन मुद्दों पर बात करें, जिन पर दोनों पक्षों को कोई समस्या नहीं है। एमएसपी के मुद्दे पर सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ लंबी चर्चा चाहती है ताकि वह उन्हें यह समझा सके कि सभी कृषि उपज पर यह लागू करना क्यों संभव नहीं है। जहां तक कृषि कानून हैं, उन पर सरकार का रुख यही है कि किसान क्लॉज वार अपनी शंकाएं बताएं, सरकार उनका हर हाल में समाधान सुझाएगी।

इस बीच किसान नेता अतुल अंजान ने बताया कि किसान अपने आन्दोलन को तेज करने वास्ते एक जनवरी को हर जिले और गांव में संविधान संकल्प लेंगे।

सुधारों का असर दिखने में लगेगा समय : राजनाथ
उधर रविवार को शिमला में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कृषि कानूनों पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सुधार के लिए उठाए गए कदमों का असर कुछ सालों बाद दिखता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि किसान कृषि कानून के सकारात्मक परिणाम देखने के लिए चार-पांच साल नहीं तो कम से कम दो साल तो दें। इस क्रम में उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में 1991 में लाए गए मनमोहन सिंह के आर्थिक सुधार और वाजपेयी सरकार के अन्य सुधारों का भी हवाला दिया।

वकील ने की खुदकुशी
झज्जर (हरियाणा)। टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन स्थल से कुछ किलोमीटर की दूरी पर पंजाब के एक वकील अमरजीत सिंह ने रविवार को कथित तौर पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सिंह ने कथित तौर पर अपने सुसाइड नोट में लिखा कि वह केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में अपनी जान दे रहे हैं।

 

सहारा न्यूज ब्यूरो/अजय तिवारी
नई दिल्ली


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