खेती के करार कानून के 5 फायदे गिनाते हैं भारत सरकार के अधिकारी

Last Updated 11 Dec 2020 10:59:13 PM IST

देश में खेती का करार काफी पहले से चला आ रहा है जोकि लिखित व अलिखित दोनों रूप में होता है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नये कानून के जरिए उसे एक कानूनी आधार प्रदान किया गया है।


खेती के करार कानून के 5 फायदे

भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नये कानून के तहत होने वाले करार में फसलों की क्वालिटी, ग्रेड और उसकी कीमतें व सेवा की शर्तें होंगी, जिनसें किसानों के हितों की अनदेखी नहीं हो पाएगी। किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार की ओर से गठित समिति के अध्यक्ष अशोक दलवई की मानें तो नये कानून में किसानों के हितों को प्रमुखता दी गई है।

खेती-किसानी को लाभकारी बनाने के मकसद से मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए सुधार के कार्यक्रमों को लागू करने के लिए कोरोना काल में लागू तीन अहम कृषि कानूनों में कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 भी शामिल हैं। इस कानून की खासियत है कि इसमें फसलों की क्वालिटी, ग्रेड और उसकी कीमतें व सेवा की शर्तों का जिक्र किया जाएगा। साथ ही, करार एक से पांच साल तक का होगा। तीसरी अहम और अति महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें करार में पहले से तय कीमत के मुकाबले फसल की कीमत ज्यादा होने पर बाजार में उपलब्ध कीमत को बेंचमार्क माना जाएगा।

दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि इस कानून का फायदा कॉरपोरेट कंपनियों को होगा, क्योंकि कानून उन्हीं के हितों का ध्यान में रखकर बनाया गया है। लेकिन वरिष्ठ अधिकारी इस कानून को किसानों के लिए लाभकारी बताते हैं। नेशनल रेनफेड एरिया अथॉरिटी (एनआरएए) के सीईओ अशोक दलवई ने आईएएनएस को बताया कि नये कानून में जो मल्टीपार्टी कांट्रैक्ट का प्रावधान है। इसमें कीमत के साथ-साथ सेवा का भी करार होगा। दलवई ने नये कानून में किसानों के लिए पांच फायदे गिनाए।

1. फसलों की कटाई के बाद कीमतों में जो उतार-चढ़ाव होता है उसके बारे में किसानों को पहले पता नहीं होता है, लेकिन करार में कीमत पहले ही तय हो जाएगी, जिससे किसानों को पहले से तय कीमत मिलने का भरोसा रहेगा।

2. किसानों को एक्सटेंशन टेक्टनोलॉजी मिलेगी। मतलब किस फसल का उत्पादन करना है और किस वेरायटी का उत्पादन करना है, जिसकी मांग होगी।

3. सेवा का उत्तरदायित्व स्पांसर या खरीदार उठाएगा। मसलन, वाटर मैनेजमेंट, वेस्ट मैनेजमेंट आदि की जिम्मेदारी स्पांसर ले सकता है।

4. जमीन को लेकर कोई करार नहीं होगा। यह करार सिर्फ फसल का होगा।

5. किसी प्रकार के विवाद की सूरत में समाधान सरलता से किया जाएगा। पहले गांव में ही ग्राम पंचायत स्तर पर विवादों का निपटारा किया जाएगा और ऐसा नहीं होने पर एसडीएम के स्तर पर विवादों का निपटारा किया जाएगा।

नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे किसानों को एक बड़ी आशंका है कि इस कानून के तहत करार का निपटारा एसडीएम के स्तर पर होने से गरीब किसान को न्याय नहीं मिल पाएगा। इस मसले पर सरकार ने उन्हें मौजूदा प्रावधान के साथ-साथ सिविल कोर्ट जाने का प्रावधान कानून में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment